जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशी मतदाता के हाथों माला पहन कर हाथ जोड़े आगे बढ़ जाते हैं। यह भी ट्रेंड देखने को मिल रहा है। नेता जिस गली से गुजर रहे हैं छतों से लोग फूलों की बरसात हो रही है। लेकिन यह सब प्रायोजित हो रहा है। पता चला नेताजी फूल बरसा के लिए खुद ही फूल भेजवा रहे हैं।
मतदाता की रंगोली बिगड़ी तो फूटा गुस्सा
सोमवार को नरेला विधानसभा क्षेत्र मे भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की रैली में घरों के सामने बनीं रंगोलियां बिगड़ गयीं। इस पर जनता ने नेताओं को खूब खरी खोटी सुनाईं। इस दौरान कुछ लोगों ने इसके वीडियो बना लिया। इस पर नेताजी के समर्थकों ने फोन छीनकर फोटो और वीडियो डिलीट करने दिया।
चुनाव प्रचार अभद्र भाषा का प्रयोग
नरेला में राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का स्तर इतना गिर गया है कि कोई किसी को सट्टेबाज तो कोई किसी को भैंस चोर कह रहा है। मतदाता भी इस तरह की स्तरहीन बातों का चटखारे लेकर मजे ले रहे हैं।
नेताजी मांग रहे आशीर्वाद
प्रत्याशियों का जोर हर गली चौराहे पर चेहरा दिखाने पर है। इस दौरान वे बुजुर्गों के पांव छूकर और महिलाओं व युवाओं से हाथ जोडक़र वोट मांग रहे हैं। लेकिन जनता तटस्थ है। कुछ लोग इसी बात से खुश हैं कि पांच साल में एक बार ही सही नेताजी पांव तो छू रहे हैं। राह चलते किसी युवा के कंधे पर हाथ रख उसकी खैर पूछ रहे हैं। युवा नेताओं की इन गतिविधियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे।
डिजिटल दुनिया से अवेयर वोटर्स
एक ट्रेंड चुनाव में यह भी दिख रहा है कि मतदाता समस्याओं और विकास को लेकर जागरूक हैं। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाला वोटर्स भी डिजिटल दुनिया से अवेयर है। गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र के जाटखेड़ी के रवि कच्ची बस्ती में रहते हैं। वे कहते हैं गरीबी, गंदगी तो शास्वत समस्या है। लेकिन मैं पहले प्रत्याशियों का बॉयो डाटा पढू़ंगा। कामों का विश्लेषण करुंगा फिर वोट दूंगा।
विकास को देंगे तरजीह
कटरा हिल्स रोड निवासी एक महिला ने कहा अब पति के कहने पर वोट करने का जमाना नहीं। मैं खुद तय करूंगी कि किसे वोट करूंगी। जबकि श्रीराम कॉलोनी के अजायब सिंह कहते हैं कॉलोनी में सीवेज और पानी की समस्या है। विकास कागजों में हुआ है। इसलिए विकास कार्य वोट की नीति तय करने में मदद करेगा।
नेता हो गए बहुरुपिया, असल मुद्दे पर बात नहीं
गोविंदपुरा में सडक़ों की हालत खराब है। कई जगह तो ऐसी सडक़ें हैं जो महानगर का अहसास ही नहीं करातीं। जल प्रबंधन और सीवेज लाइन जैसी व्यवस्थाएं भी नहीं हैं। कमोबेश यही हाल चिकित्सा सुविधा का भी है। आबादी के अनुपात में अस्पताल नहीं हैं जो हैं उनमें सुविधाएं नहीं। बाग मुगलिया के शिक्षक विहार कॉलोनी के रविदत्ता कहते हैं, नेता बहुरुपिया हो गए हैं। वे असल मुद्दे पर बात ही नहीं करते।