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इन गतिविधियों में रहते हैं लोग
सुबह उठकर कई लोग आमतौर पर अपनी मिस्ड कॉल लिस्ट चैक करते हैं। कई लोग ये भी चैक करते हैं कि, उनके द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई गतिविधि पर अब तक लोगों ने क्या रिएक्शन दिया। साथ ही, लोग ये भी चैक करते हैं कि, अब तक उनके संपर्क के अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर क्या पोस्ट किया है। हालांकि, शहर के एक मशहूर साइकेट्रिस्ट जॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने लोगों की इस आदत को सेहत से खिलवाड़ बताया है। उन्होंने एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि, ‘ये कोई हेल्दी हेबिट नहीं बल्कि एक तरह का एडिक्शन है।’ तो आइये जानते हैं लोगों के लिए किस समय मोबाइल का इस्तेमाल घातक साबित हो सकता है।
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बेड पर जाने से पहले
अकसर लोगों की आदत होती है कि वो रात को सोने से पहले अपने मोबाइल फोन पर एक्टिव होते हैं। युवाओं में खासतौर पर लेटनाईट कन्वर्सेशन मानो एक आम सी बात है। लेकिन ऐसा करना स्वास्थ के लिए बेहद हानिकारक है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि, देर रात बिस्तर पर लेटने के बाद मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से आपको स्वस्थ नींद आना असंभव है। कुछ दिनों में इसके दुष्परिणाम भी देखने में आने लगते हैं। शुरुआत में नींद पूरी ना होने के कारण अगला दिन थकान भरा और सुस्त जाता है। इस समस्या के ज्यादा बढ़ने पर व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होने लगता है। रिसर्च का हवाला देते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि, रात के समय मोबाइल फोन से काफी तेज़ रेडिएशन निकलते हैं, वहीं लेटे होने के कारण हमारा शरीर दिन के मुकाबले बेहद शांत होता है, जो काफी तेजी से रेडिएशन एबजॉर्ब करता है। ऐसे में एक्सटर्नली इसका प्रभाव हमारी स्किन पर होता है और इंटरनली दिमाग पर।
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सुबह उठने के बाद
अकर लोग सुबह उठते ही मोबाइल फोन चैक करते हैं। यही नहीं कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो रात में हर बार नींद खुलने पर मोबाइल एक बार चैक कर लेते हैं। कई लोग तो सुबह उठकर अगर अपना फोन चैक ना कें तो मानों उन्हें ऐसी फीलिंग रहती है कि, कुछ अधूरा रह गया। किसी दिन अगर चाहकर भी वो अपना मोबाइल चैक ना करें तो उन्हें एक तरह की बैचेनी बनी रहती है। डॉ. त्रिवेदी के मुताबिक ये भी एक तरह के नशे की लत के समान है। अगर आप सुबह उठकर सबसे पहले अपना फोन चैक करते हैं, तो समझ लीजिये कि आप अपनी सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। एक ऐसा खिलवाड़ जो आपकी जान पर भी भारी पड़ सकता है। बता दें कि, सोते समय हमारे दिमाग का एक बड़ा हिस्सा भी सो जाता है। इस दौरान वो पिछले दिन की थकावट दूर करके ज़रूरी चीजों को स्टोर करता है और गैर ज़रूरी चीजों को धुंदला करता है। ऐसा करके वो अपने दिमाग को दौबारा अपडेट कर लेता है और सुबह से वो एक बार फिर काफी तेज़ी से चीजों के एबजॉर्ब करने में जुट जाता है। ऐसे में अगर सुबह उठते ही हम मोबाइल के संपर्क में आते हैं, तो हमारे नए जागृत दिमाग पर इसके रेडिएशन का गहरा प्रभाव पड़ता है।