दरअसल सूचना आयोग में पति-पत्नी के एक केस पर सुनवाई चल रही थी। इस मामले में महिला ने अपने पति पर मारपीट और गर्भ में भ्रूण हत्या का आरोप लगाया था। इसी मामले को लेकर राज्य सूचना आयोग में सुनवाई चल रही है।
LLB की परीक्षा में खुलेआम नकल, गाइड और चिट से देखकर उत्तर लिख रहे छात्र
इस मामले पर राज्य सूचना आयुक्त सिंह ने कहा कि किसी व्यक्ति विशेष की मेडिकल रिपोर्ट की जानकारी आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (J) के तहत व्यक्तिगत होने से उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है, किंतु अपराधिक प्रकरण में व्यक्तिगत जानकारी होने के आधार पर मेडिकल रिपोर्ट की जानकारी को नहीं रोका जा सकता है।
राहुल सिंह ने कहा कि मेडिको लीगल रिपोर्ट किसी रोगी के कहने पर तैयार नहीं की जाती है, इसकी कानूनी आवश्यकता होती है। थानों में मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर भी कई मामले दर्ज किए जाते हैं। सामान्य चिकित्सा मामलों की अपेच्छा यह अलग है। इसलिए MLC रिपोर्ट को RTI के दायरे में होना चाहिए जिससे वास्तविक तथ्यों के सामने आने से न्यायिक व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
अपराधिक मामलों में मेडिकल रिकॉर्ड की जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (J) के तहत व्यक्तिगत मानकर देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। पति ने अपनी पत्नी की सोनोग्राफी रिपोर्ट मांग मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की थी, सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) H के तहत नहीं दी जा सकती, इससे जाँच/अभियोजन प्रभावित हो सकता है।