#निर्जला एकादशी 2018: कई रोगों से छुटकारा पाने और सुख सौभाग्य में वृद्धि के साथ ही हर मनोकामना पूरी करने के ये हैं उपाय!
भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 24 एकादशी आती हैं, लेकिन निर्जला एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र एकादशी माना जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी सबसे अधिक पुण्यफल दायिनी मानी जाती है, मान्यता है कि इस व्रत के करने से साल भर की सभी एकादशियों के व्रत के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इस बार यह एकादशी 23 जून 2018 को यानि आज है। वहीं कुछ जगह ये 24 जून को भी मनाई जाएगी। इस व्रत में जल का सेवन न करने के कारण ही यह निर्जला एकादशी कहलाती है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मान्यता है कि पाण्डवों के भाई भीम ने इस एकादशी का व्रत किया था इसलिए यह भीमसैनी और पाण्डवा एकादशी के नाम से भी प्रसिद्घ है। अन्य एकादशियों में अन्न का सेवन नहीं किया जाता, परंतु इस एकादशी में जल का सेवन करना भी निषेध है। अत: बहुत कठिन तपस्या एवं साधना का प्रतीक है यह व्रत…
व्रत की विधि : इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी ग्रहण न करने का विधान है। इस व्रत में जल में शयन करने वाले भगवान विष्णु जी का पूजन धूप, दीप, नेवैद्य आदि वस्तुओं से विधिवत किया जाता है।
दान- इस व्रत में अपनी सामर्थ्यानुसार अन्न, जल, वस्त्र, छतरी, जल से भरा मिट्टी का कलश, सुराही तथा किसी भी धातु से बना जल का पात्र, हाथ का पंखा, बिजली का पंखा, शर्बत की बोतलें, आम, खरबूजा, तरबूज तथा अन्य मौसम के फल आदि का दान दक्षिणा सहित देने का शास्त्रानुसार विधान है।
इसके अतिरिक्त राहगीरों के लिए किसी भी सार्वजनिक स्थान पर ठंडे एवं मीठे जल की छबील, प्याऊ लगाना तथा लंगर आदि लगाना अति पुण्यफलदायक है। व्रत का पारण ब्राह्मणों को यथाशक्ति मिठाई, अन्न, वस्त्र, स्वर्ण, चप्पल व गाय आदि वस्तुएं दक्षिणा सहित दान देने के पश्चात ही किया जाना चाहिए।
पुण्यफल : पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत के प्रभाव से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं अनेक रोगों की निवृत्ति एवं सुख सौभाग्य में वृद्घि होती है। इस व्रत के प्रभाव से चतुर्दशीयुक्त अमावस्या को सूर्यग्रहण के समय श्राद्घ करके मनुष्य जिस फल को प्राप्त करता है वही फल इस व्रत की महिमा सुनकर मनुष्य पा लेता है।
हालांकि व्रत करने वाले साधक के लिए जल का सेवन करना निषेध है, परंतु इस दिन मीठे जल का वितरण करना सर्वाधिक पुण्यकारी माना जाता है। भीषण गर्मी में प्यासे लोगों को जल पिलाकर व्रती अपने संयम की परीक्षा देता है अर्थात व्रती अभाव में नहीं बल्कि दूसरों को देकर स्वयं प्रसन्नता की अनुभूति करता है तथा उसमें परोपकार की भावना पैदा होती है। इस प्रकार भारी मात्रा में जल का वितरण करने पर भी वह अपनी भावनाओं पर पूरा संयम रखता है।
यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला तथा मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करता है। व्रत से जल की वास्तविक अहमियत का भी पता चलता है। मनुष्य अपने अनुभवों से ही बहुत कुछ सीखता है,यही कारण है कि व्रत का विधान जल का महत्व बताने के लिए ही धर्म के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
निर्जला एकादशी व्रत 2018 की ये 5 खास बातें… निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को कहा जाता है। इस वर्ष यह एकादशी 23 जून 2018 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना का विशेष महत्व है। साथ ही एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जल (बिना पानी के) व्रत रखने का महत्व है। कहते हैं कि निर्जला एकादशी पर उपवास रखकर आप पूरे वर्ष में आने वाली सभी 24 एकादशी का फल प्राप्त कर सकते हैं। आइए निर्जला एकादशी से जुड़ी कुछ अहम बातें जानते हैं।
1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी पर व्रत रखने से चंद्रमा द्वारा उत्पन्न हुआ नकारात्मक प्रभाव समाप्त होता है। उपवास रखने से ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है। 2. भक्त पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। निर्जला एकादशी की रात को सोना वर्जित होता है, क्योंकि इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
3. भक्त इस दिन ‘ओम नमोः भगवते वासुदेवाय’ के मंत्र का जाप करते हैं। 4. ब्राह्मणों को कपड़े, छाता, दूध, फल, तुलसी पत्तियां आदि दान करना शुभ माना जाता है। 5. चावल खाना इस दिन सख्त मना होता है।
भूलकर भी न करें ये काम… स्कंद पुराण के अनुसार इस एकादशी पर व्रत करने से सालभर की सभी एकादशियों के व्रत के बराबर पुण्य फल मिल जाता है। निर्जला एकादशी के दिन व्रत रखने के साथ ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का 108 बार जप करने से अक्षय पुण्य मिलता है। इस दिन कुछ काम करने की मनाही होती है।
ये हैं वे काम… – एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। – एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है।
– इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने वाला पाप का भागी बनता है। – चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है।
– एकादशी पर क्रोध भी नहीं करना चाहिए। इससे मानसिक हिंसा होती है।
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