भारत सरकार ने मध्यप्रदेश को 28.50 करोड़ काम तैयार करने का लक्ष्य दिया था, जिसमें अभी तक 24.50 करोड़ से अधिक मानव दिवस के लिए काम तैयार किया जा चुका है। मनरेगा में एक परिवार को १०० दिन के लिए काम दिया जाता है।
मनरेगा में मिल रहे रोजगार से प्रवासी मजदूरों को काफी लाभ मिला है। औसतन 6 से 7 लाख मजदूर को रोज मनरेगा में काम मिल रहा है, जो पिछले सालों की तुलना में सर्वाधिक रिकॉर्ड है।
साढ़े 46 लाख से ज्यादा को काम
इस वर्ष 46.65 लाख परिवारों के 86 लाख से अधिक मजदूरों को मनरेगा में काम मिला है। 1.47 लाख परिवारों ने अपने हिस्से का 100 दिवस काम पूरा भी कर लिया है। 24.51 करोड़ मानव दिवस में से 13.46 प्रतिशत काम अनुसूचित जाति, 33.51 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति परिवारों ने किए हैं।
एक लाख हेक्टेयर पड़त भूमि बना दी उपजाऊ
इस वर्ष मनरेगा में 54,7000 से अधिक हितग्राही मूलक एवं सामुदायिक कार्य किए गए हैं, जिसमें जल संरक्षण-संवर्धन, कपिलधारा, कूप, भूमि सुधार संबंधी, सड़क सुधार और निर्माण, गौशाला, पशु शेड, सहित अन्य कार्य शामिल हैं। प्रदेश के लघु सीमांत किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्टॉप डैम खेत तालाब आदि जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य कराए गए हैं। इस वर्ष 1 लाख हेक्टेयर पड़त भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए मनरेगा में मुख्यमंत्री जय किसान योजना प्रारंभ की है, जिसके तहत गरीब किसान की जमीन उपजाऊ होकर फसल उत्पादन प्रारंभ किया गया है।
टॉप पांच राज्य
क्रमांक | प्रदेश | मजदूर |
1 | मध्य प्रदेश | 1942765 |
2 | राजस्थान | 1751919 |
3 | तमिलनाडु | 1389275 |
4 | उत्तर प्रदेश | 1389092 |
5 | वेस्ट बंगाल | 1372499 |