इनमें से आज हम आपको मंगल के संबंध में विशेष बताने जा रहे है, दरअसल मंगल हमें कई तरह से प्रभावित करता है। यहां तक की मान्यता है कि विवाह में भी मंगल का प्रभाव रहता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिष में मंगल एक क्रूर ग्रह माना गया है। मनुष्य जीवन को ये कई तरह से प्रभावित करता है, यहां तक की मंगल दोष के कारण लोगों के विवाह में कठिनाई भी आती है। विवाह के अतिरिक्त मंगल कुंडली में रक्त संबंधी दोष, उंचाई से डर आदि से जुड़े नकारात्मक प्रभाव भी डालता है।
पंडित शर्मा के मुताबिक मंगल से निर्मित मांगलिक दोष मनुष्य जीवन के दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है। मंगल दोष व्यक्ति के विवाह में देरी अथवा अन्य प्रकार की रुकावटों का कारण होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है।
वहीं वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है। गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है।
ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।
ॐ अं अंङ्गारकाय नम:।। मंगल का बीज मंत्र –
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।।
मंगल का कुंडली में प्रभाव…
जन्म कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भावों में अगर मंगल विराजमान हो तो जातक मंगली कहलाता है। माना जाता है कि ये विवाह को विघटन में बदल देता है, यदि इन भावों में विराजमान मंगल स्वक्षेत्री हो, उच्च राशि में स्थिति हो, अथवा मित्र क्षेत्री हो, तो दोषकारक नहीं होता है।
वहीं मंगल के दोष के मामले में ये समझ लेना आवश्यक है कि 28 वर्ष की आयु में सामान्यत: मंगल को वृद्ध मान लिया जाता है यानि इसका प्रभाव कम हो जाता है। इसके अलावा आपकी कुंडली में कहीं भी मंगल बैठा हो और यदि उसके साथ राहु भी हो तो ऐसी स्थिति में दोनों का प्रभाव शून्यता की ओर चला जाता है।
जानकारों के अनुसार यदि जन्म कुन्डली के प्रथम भाव में मंगल मेष राशि का हो, द्वादश भाव में धनु राशि का हो, चौथे भाव में वृश्चिक का हो, सप्तम भाव में मीन राशि का हो और आठवें भाव में कुम्भ राशि का हो, तो मांगलिक दोष नहीं होता है।
यदि जन्म कुन्डली के सप्तम, लग्न, चौथे, नौवें और बारहवें भाव में शनि विराजमान हो तो मांगलिक दोष नहीं होता है। इसके साथ ही यदि जन्म कुन्डली में मंगल गुरु अथवा चन्द्रमा के साथ हो, अथवा चन्द्रमा केन्द्र में विराजमान हो, तो मांगलिक दोष नहीं होता है।
मंगल के उपाय…
: अगर कुंडली में मंगल समस्या दे रहा है तो शहद न खाएं, बल्कि हर मंगलवार शिवलिंग पर अर्पित करें। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से मंगल का दुष्प्रभाव कम होता है।
दो मांगलिक लोगों का विवाह
यदि दोनों पार्टनर मांगलिक हैं तो यह दोष स्वत: समाप्त हो जाता है। वहीं यदि मांगलिक से गैर-मांगलिक का विवाह हुआ हो तो उपाय करने पड़ते हैं।
1. कुंभ विवाह
यदि एक व्यक्ति मांगलिक हो और दूसरा पार्टनर न हो तो कुंभ विवाह के जरिए इस दोष को खत्म किया जा सकता है। हिंदू—वैदिक शास्त्र के मुताबिक शादी से पहले मांगलिक व्यक्ति को केले, पीपल या भगवान विष्णु की सोने या चांदी की मूर्ति से विवाह की रीति पूरी करनी होगी।
: ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक मांगलिक पति और पत्नी को शादी के बाद लालवस्त्र पहन कर तांबे के लोटे में चावल भरने के बाद लोटे पर सफेद चन्दन को पोत कर एक लाल फूल और एक रुपया लोटे पर रखकर पास के किसी हनुमान मन्दिर में रख कर आना चाहिए।
मंगलवार को उपवास रखना भी मंगल दोष को दूर करने का उपाय माना जाता है। मंगलवार के दिन उपवास रखने वाले मांगलिक लोगों को सिर्फ तूर दाल का ही सेवन करना चाहिए।
3. नवग्रह मंत्र
मांगलिक दोष वाले लोग यदि मंगलवार को नवग्रह मंत्र का जाप करें तो इससे मुक्ति मिलती है। इसे मंगल मंत्र भी कहा जाता है। दिन में 108 बार गायत्री मंत्र के जाप या फिर हर रोज हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी इस दोष का असर कम होता है।
21 नामों से मंगल की पूजा कर काटें मांगलिक दोष…
पंडित शर्मा के अनुसार इसमें जो विशेषकर मांगलिक हैं उन्हें इसकी पूजा अवश्य करना चाहिए। चाहे मांगलिक दोष भंग आपकी कुंडली में क्यों न हो गया हो, फिर भी मंगल यंत्र मांगलिकों को सर्वत्र जय, सुख, विजय और आनंद देता है।
इन 21 नामों से करें मंगल की पूजा…
1. ऊँ मंगलाय नम:।
2. ऊँ भूमि पुत्राय नम:।
3. ऊँ ऋण हर्वे नम:।
4. ऊँ धनदाय नम:।
5. ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:।
6. ऊँ महाकाय नम:।
7. ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:।
8. ऊँ लोहिताय नम:।
9. ऊँ लोहितगाय नम:।
10. ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:।
11. ऊँ धरात्मजाय नम:।
12. ऊँ कुजाय नम:।
13. ऊँ रक्ताय नम:।
14. ऊँ भूमि पुत्राय नम:।
15. ऊँ भूमिदाय नम:।
16. ऊँ अंगारकाय नम:।
17. ऊँ यमाय नम:।
18. ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:।
19. ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:।
20. ऊँ प्रहर्त्रे नम:।
21. ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:।
कुंभ विवाह : इसी तरह किसी कन्या के मंगल दोष होने पर उसका विवाह भगवान विष्णु के साथ कराया जाता है। इस कुंभ या कलश में विष्णु स्थापित होते हैं।
लड़कों के लिए मंगलदोष दूर करने के उपाय :
जब चंद्र-तारा अनुकूल हों, तब तथा अर्क विवाह शनिवार, रविवार अथवा हस्त नक्षत्र में कराना ऐसा शास्त्रमति है। मान्यता है कि किसी भी जातक (वर) के कुंडली में इस तरह के दोष हों, तो सूर्य कन्या अर्क वृक्ष से विवाह करना, अर्क विवाह कहलाता है। अर्क विवाह से दाम्पत्य सुखों में वृद्धि होती है और वैवाहिक विलंब दूर होता है।
इसके अलावा अन्य आसान उपाय जो विवाह पूर्व किए जाते हैं, इस प्रकार हैं :-
: केसरिया गणपति अपने पूजा गृह में रखें एवं रोज उनकी पूजा करें।
: ॐ हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
: महामृत्युंजय का पाठ करें।