एनसीआरबी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में देशभर में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म के 33036 मामले सामने आए। इनमें सिर्फ मध्य प्रदेश में ही बच्चियों से दुराचार के 3515 मामले दर्ज किए गए। जबकि कुल ज्यादती के मामलों पर गौर करें, जिनमें नाबालिग के साथ बालिग , बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं। इनमें प्रदेश में 6462 केस रजिस्टर्ड हुए।
हर रोज 8 बच्चियां बन रहीं हवस का शिकार
ऐसे में आगर औसतन हर 24 घंटे का हिसाब लगाया जाए तो मध्य प्रदेश में रोजाना 8 बच्चियां दुष्कर्म का शिकार हुई हैं। आपको याद हो कि, प्रदेश में साल 2020 के दौरान भी यही हालात थे। इस साल प्रदेशभर में दुष्कर्म के कुल 5598 केस दर्ज किए गए थे, इनमें से 3259 केस सिर्फ नाबालिग बच्चियों से दुराचार के मामले में दर्ज किए गए थे। खास बात ये है कि, तब भी देशभर में मध्य प्रदेश ही इस मामले में अव्वल था। इस हिसाब से गौर करें तो गौर करें तो आंकड़े सामने आने के बावजूद भी मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था में इन घटनाओं की रोकथाम को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उटे हैं। यही वजह है कि, यहां अपराधियों के हौसले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
दलितों, ट्राइबल के खिलाफ अत्याचार में भी अव्वल
सिर्फ बाल अपराध ही नहीं मध्य प्रदेश ट्राइबल और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले में भी पिछली बार की तरह इस बार भी अव्वल है। साल 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। ये 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अदिक हैं। 2020 में 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 मामले दर्ज हुए। खास बात ये है कि, ये चौंकाने वाले आंकड़े उस समय के सामने आए हैं, जब प्रदेश की सरकार खुद आदिवासियो और दलितों के हित के लिए कार्य करने का दावा कर रही है।
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महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर दिल्ली
वहीं, महिलाओं के केस को लेकर बात करें तो देशभर में दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। यहां 2020 में महिलाओं के खिलाफ 9782 केस दर्ज हुए थे, जो 2021 में 40 फीसदी बढ़कर 13,892 हो गए हैं। ताजा यानी 2021 के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में रोजाना औसतन दो नाबालिग लड़कियां अपराधियों की हवस का शिकार हुई हैं।
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