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भोपाल ऐसी राजधानी हो गई, जिससे कुछ दूरी पर टाइगर रिजर्व(MP New Tiger Reserve) की सीमा होगी। अब तक रातापानी वन्यजीव अभयारण्य था, केंद्र के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने 2008 में रिजर्व बनाने की सहमति दी थी, पर निर्णय नहीं हो सका। नई सरकार के गठन के बाद मार्च 2024 में सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की पहली बैठक हुई। तब सीएम ने अफसरों को कहा था जल्द प्रक्रिया पूरी कर रिजर्व घोषित करें।
50 नए पद होंगे मंजूर
अब रिजर्व(MP New Tiger Reserve) में 10 साल की बाघ संरक्षण योजना बनेगी। क्षेत्र संचालक जैसे 50 नए पद मंजूर होंगे। राष्ट्रीय बाघ परियोजना मद से हर साल 5-15 करोड़ रुपए मिलेंगे। संरक्षण योजना बनाने और नए पद स्वीकृत कर भरने में 1 साल लगेगा।
रिजर्व से ये फायदे
-रातापानी व आसपास के गांव वन पर्यटन में वैश्विक पटल में होंगे शामिल, रोजगार के मौके खुलेंगे।
-वन्यप्राणी संरक्षण में आसानी।
-भीमबेटका और गिन्नौरगढ़ किले अब रिजर्व में, पर्यटक जिप्सी से यहां तक जा पाएंगे।