साल 2019 में हुआ था तलाक
भोपाल में रहने वाले दंपति निकेत (बदला हुआ नाम) और अंकिता (बदला हुआ नाम) की शादी साल 2009 में हुई थी। शादी के एक साल साल बाद एक बेटा व दो साल एक बेटी पैदा हुई लेकिन उनकी हंसती खेलती जिंदगी को शायद किसी की नजर लग गई और साल 2015 में दोनों के बीच अनबन शुरु हो गई। बात-बात पर विवाद और झगड़े होने लगे जिससे तंग आकर दोनों ने अलग होने का फैसला लिया और बच्चों को दादा-दादी के पास ग्वालियर भेजने के बाद साल 2018 में तलाक के लिए भोपाल के फैमिली कोर्ट में आवेदन दे दिया। जिसके बाद नवंबर 2019 में कोर्ट ने दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी और पति-पत्नी कानूनन अलग हो गए। तलाक के बाद पति निकेत पत्नी अंकिता को 25 हजार रुपए भरण पोषण भी देने लगा।
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दूसरी शादी की कोशिशें कीं
तलाक होने के बाद निकेत (बदला हुआ नाम) और अंकिता (बदला हुआ नाम) ने अलग अलग फिर से नई जिंदगी जीने की शुरुआत की। दोनों ने दोबारा शादी के लिए विज्ञापन भी दिए और कई लोगों से भी मिले लेकिन बात नहीं बनी। फिर एक वक्त ऐसा आया जब दोनों को बच्चों की याद सताने लगी, बच्चों के भविष्य की चिंता हुई तो अंकिता ने पहल की और निकेत से बात कर एक बार फिर से दोबारा साथ में जिंदगी जीने की इच्छा जताई। निकेत भी इसके लिए तैयार हो गया, अंकिता ने ससुराल जाकर बच्चों से मुलाकात की और सास-ससुर से भी अपनी गलतियों की माफी मांगी।
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हाईकोर्ट ने खारिज की डिक्री
दोनों के परिवार के बुजुर्गों ने भी आपस में बात की और वेलफेयर सोसायटी से विधिक सहायता मांगी जिस पर एक्सपर्ट्स ने दोनों को फिर से शादी करने की सलाह दी लेकिन दोनों इसके लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद बताया गया कि फैमिली कोर्ट की डिक्री को हाईकोर्ट निरस्त कर सकता है इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में आवेदन लगाया जहां दोनों की सहमति के बाद कोर्ट ने डिक्री को खारिज कर दिया है।