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MP को बासमती पर GI टैग देने से क्यों खफा है पंजाब? जानिए कैसे हो सकता है पाक को फायदा

MP के बासमती से पाकिस्तान को फायदा कैसे?

भोपालAug 06, 2020 / 03:30 pm

Faiz

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MP को बासमती पर GI टैग देने से क्यों खफा है पंजाब? जानिए कैसे हो सकता है पाक को फायदा

भोपाल/ मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग न देने के पक्ष में खड़ी पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार और मध्य प्रदेश सरकार आमने-सामने आ गई है। पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( pm narendra modi ) को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग ( GI tagging ) न देने की मांग की है। इस पर गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मध्य प्रदेश के किसानों के हितों का हवाला देते हुए मैदान में उतर आए हैं। बड़ा सवाल ये है कि, आखिर मध्य प्रदेश को जीआई टैग मिलने से पाकिस्तान को फायदा कैसे होगा?

 

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इस तरह की वस्तु पर मिलता है GI TAG

जियोग्राफीकल इंडीकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999 के मुताबिक जीआई टैगिंग कृषि वस्तुओं के लिए जारी किया जा सकता है, जो मूलरूप से किसी देश के एक प्रदेश या क्षेत्र या राज्य से संबंधित हो। जहां ऐसी वस्तुओं की गुणवत्ता, प्रतिष्ठा या अन्य विशेषताएं इसकी भौतिक उत्पत्ति की विशेषता को दर्शाती हों। वहीं, बासमती के परंपरागत पैदावार वाले क्षेत्रों को विशेष महक, गुणवत्ता और अनाज के स्वाद के आधार पर दिया गया है, जो इंडो-गंगेटिक मैदानी इलाकों के निचले क्षेत्रों में मूलरूप से पाई जाती है। इस इलाके की बासमती की विश्वभर में खास पहचान है।

बता दें कि, अब तक पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ जिलों को ही बासमती की जीआई टैगिंग मिली है। जिस किसी वस्तु को जीआई टैगिंग मिलती है, वो मौलिक रूप से अपने आप में खास होती है। बास्मती विश्वभर में पहचाना जाने वाला चावल है। मध्य प्रदेश के अलावा कई राज्यों में इसकी पैदावार होती है। लेकिन, अब तक देश के 7 राज्यों के जिलों को ही जीआई चैग मिला हुआ है।

 

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तो इस तरह पाकिस्तान को होगा फायदा

पंजाब सरकार द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मध्य प्रदेश को जीआई टैग न देने का कारण बताते हुए कहा कि, भारत के जीआई अप्रूव बासमती की विश्वभर में साख है। हालांकि, मध्य प्रदेश में पैदावार वाला बासमती क्वालिटी मापदंडों पर इतना खरा नहीं उतरता, ऐसे में अगर एमपी को बासमती पर जीआई टैग मिलता है, तो इससे जीआई की विश्वस्नीयता पर असर पड़ेगा। साथ ही, पाकिस्तान में पैदा होने वाला बस्मती भी भारत के जीआई टैग अप्रूव बासमती से काफी हल्का है। अगर एमपी के बासमती को जीआई मान्यता मिलती है, तो पाकिस्तान भारत के बास्मती के ग्रेड का हवाला देकर इंटरनेशनल बाजार में अपना हल्की क्वालिटी का बासमती निर्यात करेगा।

 

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सीएम शिवराज ने दिया कैप्टन को जवाब

हालांकि, पंजाब के मुख्यमंत्री के दावों पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक जिन्हें जीआई टैग प्राप्त है, मध्य प्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं। भारत सरकार के निर्यात के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है। ऐसे में अगर जीआई टैग वाले राज्य प्रदेश से बासमती खरीदकर अपने टैग के आधार पर विश्व में निर्यात कर रहे हैं, तो फिर मध्य प्रदेश को ही जीआई टैग मिलने में क्या समस्या है।

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