लीज शर्तों का उल्लंघन करने के मामले में बीडीए ने वर्ष 2015-16 में लीज होल्डर्स का आवंटन निरस्त करने के नोटिस जारी किए थे, जिसके जवाब में व्यवसायी न्यायालय चले गए थे। हाईकोर्ट ने बीडीए को एक समिति बनाकर सुनवाई कर बीच का रास्ता निकालने के निर्देश दिए थे। दावा-आपत्ति और सुनवाई के बाद बीडीए ने मौजूदा प्रस्ताव महाधिवक्ता कार्यालय को सौंपा है। विधिक परामर्श के बाद ये प्रस्ताव न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।
लीज की शर्तें भी घाटे का सबब बीडीए के विवादित आवंटनों में गड़बडि़यों के मामले में लीज नियमों को भी बड़ी वजह माना जा रहा है। कांग्रेस शासनकाल के जमाने में बीडीए ने इन जमीनों का आवंटन रेसीडेंशियल कम कमर्शियल एक्टिविटी के लिए किया था। इस तरह की लीज में होल्डर्स को 60 प्रतिशत में निवास और 40 प्रतिशत जमीन पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने की छूट मिलती है। एमपी नगर के ज्यादातर लीज होल्डर्स ने शत प्रतिशत कमर्शियल निर्माण कर लिए जिस पर बीडीए ने पिछले साल नोटिस जारी किए थे।
एमपी नगर का आवंटन विवाद निपटाने के लिए कलेक्टर गाइडलाइन को आधार बनाया जाएगा। प्रस्ताव महाधिवक्ता कार्यालय को भेजा है, मंजूरी मिलने पर ही कुछ कार्रवाई शुरू हो सकेगी।
– संदीप केरकेट्टा, आेएसडी, बीडीए इधर बीएचईएल ने नहीं दी सड़क चौड़ी करने की अनुमति
चेतक ब्रिज रिनोवेशन प्रोजेक्ट में इस बार बीएचईएल ने अड़ंगा लगा दिया है। चेतक ब्रिज के चौड़ीकरण से बढऩे वाले ट्रेफिक के दबाव को नियंत्रित करने बीते सप्ताह ही मंत्री विश्वास सारंग की मौजूदगी में बीएचईएल तिराहे से कॅरियर कॉलेज जाने वाले मोड़ और सड़क को चौड़ा करने पर सहमति बनी थी।
पीडब्ल्यूडी और नगर निगम इस दिशा में
काम शुरू करता इससे पहले ही बीएचईएल प्रबंधन ने कार्रवाई पर सहमति देने से इनकार कर दिया है। बीएचईएल प्रबंधन का तर्क है कि इस मामले में केंद्रीय मुख्यालय से लिखित अनुमति आने के बाद ही बाउंड्रीवॉल को तोडऩे की कार्रवाई की जा सकती है। फिलहाल ये अनुमति किसी भी स्थानीय विभाग ने बीएचईएल से नहीं मांगी है। लोनिवि के चीफ इंजीनियर एलएन दुबे के अनुसार अभी भेल से अनुमति नहीं मिलने के कारण काम रोक दिया गया है। अनुमति मिलने के बाद ही यह शुरू हो सकेगा।