जानकारी के अनुसार यह पता चला कि ज्यादातर अधिकारी इस पद पर रहना नहीं चाहते क्योंकि उनके मुताबिक इस पद में कोई दम नहीं है और इस प्रोजेक्ट से उनका कोई खास लगाव नहीं है। जिसके चलते इस प्रोजेक्ट पर बात आगे नहीं बढ़ पा रही है।
इस प्रोजेक्ट की सबसे गौर करने वाली बात यह है जब राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट पर 500 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है। तब भी विभाग आईटी पॉलिसी—16 के अंतर्गत गजट नोटिफिकेशन होने के बावजूद प्रशासनीक आदेश नहीं निकल पा रहा है।
सबसे अहम बात यह है कि आईटी पॉलिसी-16 का गजट नोटिफिकेशन होने के बाद भी उसके प्रशासकीय आदेश नहीं निकल पा रहे। राज्य सरकार अब तक आईटी पार्क के विकास पर ही 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुकी है।
भोपाल में अभी तक कई कंपनियों को एलोकेशन दिया गया। जिनकी संख्या करीब 68 है। वक्त पर काम न शुरू करने के कारण लगभग 5 कंपनियों को रद्द कर दिया गया है।
एमपीएसईडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर्स की लिस्ट
एमपीएसईडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर्स की लिस्ट में सबसे पहले है— एम सेलवेंद्रन, इनका कार्यकाल 14 मार्च से 17 मार्च तक रहा। इनके द्वारा नई आईटी पॉलिसी—16 लाई गई और गजट नोटिफिकेशन हुआ।
इसके बाद रघुराजन राजेंद्रन का कार्यकाल रहा। यह विभाग में 17 मार्च से 17 नवम्बर तक रहे। इन्होेंने डेवलपमेंट का काम शुरू किया। पर, कुछ आवंटन नहीं हुआ।
तीसेर नम्बर पर रहे मनु श्रीवास्तव। मनु दो बार विभाग के मैंनेजिग डायरेक्टर रहे। इनका कार्यकाल 17 नवम्बर से 18 जनवरी तक फिर पुन: 1 अप्रैल से 25 अप्रैल 2018 तक विभाग में रहे। इन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ खास काम नहीं किया।
इसके बाद नम्बर आता है बी चंद्रशेखर का। इन्होंने अपने कार्यकाल में आईटी पार्क परियोजना को मंजूरी दिलावाई थी। इनका कार्यकाल 18 जनवरी से 18 अप्रैल तक रहा।
वर्तमान में इस विभाग के प्रबंध निर्देशक मनीष रस्तोगी है। जिन्होंने अभी तक विभाग में ज्वाइन नहीं किया है। इनकी ज्वाइनिंग 25 अप्रैल से होगी।
1 लाख लोगों को रोजगार मिलने का सपना अधूरा
मध्यप्रदेश सरकार के लिए रहवासियों को रोजगार देना एक बड़ी समस्या हो गई है। अगर आईटी पार्क बनता है तो इसमें करीब 343 कंपनियां लगभग 50 हजार करोड़ का निवेश करेंगी। जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
प्रदेश में आईटी पार्क की स्थिति
भोपाल में आईटी पार्क का काम चालू है। जिसमें कई कंपनियों को एलोकेशन दिया गया था। पर, सही ढ़ग से काम न करने के कारण 5 कंपनियों का एलोकेशन रद्द कर दिया गया।
इंदौर की बात करें तो इंदौर में भी काम कुछ हद तक जारी है। लगभग 18 कंपनियों को जमीन दी गई। पर, समय से काम न होने के कारण, 4 कंपनियों से आवंटन वापस ले लिया गया है।
ग्वालियर में प्लांट का आवंटन किया जा चुका है। यहां कई मल्टीनेशनल कंपनियां निवेश करने की बात कह चुकी हैं।
जबलपुर में पेटीएम बहुत बड़ा निवेश कर चुका है। लगभग 114 प्लॉट डेवलप किए जा चुके है। कई कंपनियां यहां प्लॉट ले चुकी है। पर, सब्सिडी न मिलने की वजह से आईटी पॉलिसी का काम टला हुआ है।
एमपीएसईडीसी के पास नहीं कोई सुविधा
मल्टी नेशनल कंपनियों को निवेश करने के लिए यहां कई चैनलों से होकर गुजरना पडता है। कोई भी सिंगल चैनल नहीं है जिससे कंपनी जल्द से जल्द निवेश कर सके। वक्त पर काम न होने की वजह से कई कंपनियां अपना एलोकेशन समाप्त करवा चुकी है। इस प्रोजेक्ट के तहत लगभग 160 कंपनियां प्लॉट ले चुकी है।