पूर्व सांसद केपी यादव सन 2019 में उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के दिग्गज ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा दिया था। बाद में सिंधिया भी बीजेपी में आ गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सांसद केपी यादव का दावा दरकिनार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही प्रत्याशी बना दिया। तब बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने केपी यादव के राजनैतिक पुनर्वास का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक इसे पूरा नहीं किया गया है।
केपी यादव का अभी तक राजनैतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है। वे कांग्रेस में थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी करीबी भी थे। टिकट मिलने की चाह पूरी नहीं होने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में आ गए। यहां उनकी किस्मत ने ऐसा जोर मारा कि बीजेपी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में गुना से टिकट दे दी। केपी यादव ने चुनाव मैदान में अपने राजनैतिक सरपरस्त रहे कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को पटखनी दे दी।
गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया को पराजित करने का पराक्रम दिखानेवाले केपी यादव के सितारे बुलंद हुए ही थे कि वक्त ने फिर करवट ली। अगले ही साल खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी बीजेपी में आ गए और गुना क्षेत्र में सक्रिय हो गए। उनकी सक्रियता से सांसद केपी यादव की मुश्किलें बढ़ने लगीं थीं और आखिरकार उनकी टिकट ही काट दी गई। केपी यादव फिर दोराहे पर खड़े थे लेकिन बीजेपी नेताओं ने एडजस्ट करने का आश्वासन देकर उन्हें थामे रखा।
गुना से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब राज्यसभा की सीट से त्यागपत्र दे दिया तो केपी यादव की उम्मीदें फिर जवां हो उठीं। जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए उनकी लोकसभा की टिकट काटी गई थी उनके द्वारा खाली की गई राज्यसभा सीट पर केपी यादव का स्वाभाविक हक बनता दिख रहा था। प्रदेश के राजनैतिक हल्कों में यही चर्चा थी कि राज्यसभा के लिए बीजेपी में केपी यादव की दावेदारी सबसे मजबूत है हालांकि ऐसा हुआ नहीं।
केपी यादव मंगलवार को अशोकनगर में थे और लोगों से मेल मुलाकात कर रहे थे। जैसे ही बीजेपी ने राज्यसभा सीट के लिए जॉर्ज कुरियन का नाम घोषित किया वे उदास हो गए। राज्यसभा की आस खत्म होते ही उन्होंने लोगों से विदा ली और दोपहर में ही अपने पैतृक गांव की ओर रवाना हो गए। तभी से उन्होंने चुप्पी भी साध रखी है।
इधर पार्टी सूत्रों की मानें तो केपी यादव को राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार बनाने के संबंध में कोई वादा नहीं किया गया था। हकीकत तो यह है कि प्रदेश बीजेपी से जो दो नाम दिल्ली भेजे गए थे उनमें केपी यादव का नाम नहीं था। बताया जा रहा है कि खुद यादव को भी इसकी जानकारी थी। बीजेपी नेताओं का यह भी कहना है कि पार्टी केपी यादव को यूं ही दरकिनार नहीं करेगी। उनके लिए कुछ न कुछ जरूर सोचा गया है। बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान खुद अमित शाह ने सार्वजनिक सभा में केपी यादव का ख्याल रखने की बात कही थी।