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भोपाल

यहां देवी मां की घूमती हुई गर्दन देखने पहुंचते हैं भक्त

भोपाल। मां काली के विभिन्न आकर्षक रूपों से हमारा परिचय है लेकिन भोपाल से सटे रायसेन में एक ऐसा मंदिर है जहां मां काली की मूर्ति एक बार स्वयं अपनी गर्दन सीधी करती है। इस मौके पर माता के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा होता है। मान्यता है कि जिस भी भक्त को […]

भोपालApr 04, 2016 / 02:17 pm

Juhi Mishra

kankali

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भोपाल। मां काली के विभिन्न आकर्षक रूपों से हमारा परिचय है लेकिन भोपाल से सटे रायसेन में एक ऐसा मंदिर है जहां मां काली की मूर्ति एक बार स्वयं अपनी गर्दन सीधी करती है। इस मौके पर माता के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा होता है। मान्यता है कि जिस भी भक्त को माता की सीधी गर्दन देखने का मौका मिलता है उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।

नवरात्र में होती है विशेष पूजा
राजधानी से महज 15 किमी दूर रायसेन जिले के गुदावल गांव में मां काली का प्रचीन मंदिर है। यहां मां काली की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा के साथ भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की प्रतिमाए विराजमान है। आमतौर पर यहां पूरे साल माता के भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्र ंके बाद वियजदशमी पर श्रद्धालुओं का तांता लगता है। चैत्र नवरात्र में रामनवमी के दिन विशाल भंडारा आयोजित किया जाता है।

सूनी गोद भरती है मां
बताया जाता है कि इस दिन माता की लगभग 45 डिग्री झुगी गदरन कुछ पलों के लिए सीधी होती है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मंदिर के महंत मंगल दास त्यागी बताते हैं कि मंदिर से जुड़ी अलग- अलग मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जिन माता-बहनों की गोद सूनी होती है, वह श्रृद्धाभाव से यहां उल्टे हाथ लगाती हैं उनकी मान्यता अवश्य पूरी होती है।

अनोखी है प्राकृतिक छटा
कंकाली मंदिर रायसेन रोड पर स्थित बिलखिरिया गांव से कुछ ही दूरी पर जंगल के बीच बना हुआ है। मंदिर के चारो लगे हरे-भरे पेड़ पौधे यहां सबसे बड़ा आकर्षण है।

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