क्या हुआ था नोटबंदी में
8 नवंबर 2016 को भारत सरकार ने महात्मा गांधी सीरीज के ₹500 और ₹1,000 के सभी नोटों को बंद करने की घोषणा की। इसके साथ ही, बंद किए गए नोटों के बदले में नए ₹500 और ₹2,000 के नोट जारी करने की भी घोषणा की गई थी। पुराने नोट बदलने के लिए बैंकों में कई दिनों तक लोगों की लंबी लाइनें लगती रहीं थीं। विपक्ष ने नोटबंदी के फैसले की जोरदार आलोचना की थी।
नोटबंदी पर कमलनाथ का ट्वीट
आज ही के दिन 8 नवंबर 2016 को नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी लागू कर देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी। नोटबंदी को 8 वर्ष बीतने के बाद भी आज तक देश नोटबंदी की मार से उबर नहीं पाया है। जिन उद्देश्यों को लेकर नोटबंदी की गई थी, उसका भी कहीं अता पता नहीं है। एक आँकड़े के मुताबिक़ नोटबंदी के बाद लगभग 99% पैसा वापस बैंकों में आ गया, जो साबित करता है कि नोटबंदी से कालेधन पर वार करने का सरकार का दावा झूठा निकला। नोटबंदी से आतंकवाद की कमर तोड़ने की भी बात कही गई थी, लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। देश में आतंकी घटनायें नोटबंदी के बाद भी लगातार जारी है।
नोटबंदी से सिर्फ़ गरीबों की जेब और देश की अर्थव्यवस्था पर डाका डाला गया। ग़रीबों की छोटी छोटी बचत नोटबंदी से ख़त्म हो गई। सैकड़ों लोग क़तार में मर गये, कई शादियाँ टूट गई लेकिन इस सरकार के पास नोटबंदी की सफलता के नाम पर सिर्फ़ झूठे दावे और आँकड़े ही हैं।
1000 रूपये के नोट बंद कर 2000 रूपये के नोट चलन मे लाना और फिर ये कहना कि बड़े नोट भ्रष्टाचार रोकने के लिये बंद किये गये, सरकार का हास्यास्पद तर्क नज़र आया। 2000 रूपये का नोट क्यों लाया गया था, और क्यों वापस लिया गया, आज तक इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
आज का दिन भारतीय अर्थव्यवस्था के काले दिन के रूप में इतिहास में हमेशा उल्लेखित होता रहेगा।