शहरों में मकान लेते समय खुद को फेरी लगाकर व्यापार बताता था। वहीं पुलिस टीम शशिकांत से खाते लेकर ठगी करने वाले आरोपी संजय की तलाश के लिए पटना गई है। वहां धोखाधड़ी की राशि से खरीदी गई संपत्ति का ब्यौरा जुटाएगी। पूछताछ में शशिकांत ने पटना में रखी एक डायरी का भी जिक्र किया है। उससे अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है। पुलिस ने गिरफ्तार किए गए सात में से छह साइबर ठगों को जेल भेज दिया है। गिरोह का सरगना शशिकांत कुमार उर्फ मनीष 20 नवंबर तक रिमांड पर है।
फ्लाइट से करता था सफर, नए शहर में नया गिरोह
आरोपी शशिकांत दूसरे शहरों में आने-जाने के लिए फ्लाइट से सफर करता था। वह दो से तीन महीने बाद शहर बदल देता था और हर शहर में गिरोह में नए लोगों की भर्ती कर लेता था। देश में कहीं भी रहने के दौरान वह पटना से लगातार संपर्क में बना रहता था। शशिकांत पिछले तीन साल से देश के अलग-अलग शहरों की बैंकों में खाते खुलवाने का काम कर रहा था। पहली बार भोपाल पुलिस के हत्थे चढ़ा है। ये भी पढ़ें:
इंदौर- देवास रोड में बनेगा फोरलेन, सिंहस्थ-2028 में कर सकेंगे आना-जाना दो साल में 1800 से अधिक खाते खुलवाए
पुलिस के मुताबिक बीते दो साल में आरोपी 1800 से अधिक खाते खुलवाने के बाद बेच चुके हैं। 10 हजार रुपए प्रति खाते को बेचकर करीब 2 करोड़ रुपए कमाए हैं। गिरोह की महिला सदस्य टेलीकॉलिंग कर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट और ऑनलाइन गेमिंग ऐप में पैसा लगाने का झांसा देकर ठगी का काम करती थी। फर्जीवाड़े से की गई कमाई परिजन को भेज दिया करते थे। उन्हें भी शक न हो इसके लिए 20-30 हजार रुपए महीने से अधिक रकम नहीं भेजते थे। आरोपियों के बैंक खातों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है।
एक महीने में 60 खाते खुलवाने का लक्ष्य
शशिकांत एक खाते के 10 हजार रुपए लेता था। एक महीने में 50 से 60 फर्जी खाते खुलवाने का लक्ष्य था और 200 से 300 फर्जी खाते इस दौरा बेच दिए थे। पुलिस ने इंदौर के 400 और भोपाल के 130 फर्जी बैंक खातों और फर्जी दस्तावेज से हासिल किए गए 400 फोन नंबर को ब्लॉक करवा दिया है।
पुलिस को मिली 8 डायरी, जिसमें रखते थे हिसाब
आरोपियों से पुलिस को 8 डायरी मिली है, जिसमें अब तक किए गए फर्जीवाड़े का हिसाब-किताब है। इसमें किस नाम से आधार, पैन कार्ड बनाया, कितनी सिम खरीदी और कितने खाते किस नाम से खोले गए पूरा हिसाब-किताब लिख रखा है।पुलिस का कहना है कि आरोपियों द्वारा बैंकों में खोले गए फर्जी खाते 1800 से ज्यादा हो सकते हैं। साइबर ठगों को बेचे गए इन खातों से मिली राशि दो करोड़ से ज्यादा हो सकती है। कमाई के रुपए से आरोपी अगले टारगेट तक पहुंचने से पहले छुट्टी मनाते थे।