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बीते सत्र में भी हो चुकी है घोषणा
बता दें कि, इससे पहले आंध्रप्रदेश और दिल्ली में इसी फॉर्मूले के तहत अवैध कॉलोनियों को वैध करने का अधिनियम बनाया गया है। इसी तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में भी यही ड्राफ्ट तैयार किया गया है। आपको याद हो कि, बीते विधानसभा सत्र में भी नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह द्वारा नियमितीकरण के लिए अधिनियम लाने की घोषणा की थी।
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भोपाल की 350 अवैध कॉलोनियां होंगी वैध
फिलहाल, राजधानी भोपाल में 350 से ज्यादा अवैध काॅलोनियां हैं। अगर सरकार द्वारा इन कॉलोनियों को वैध करने पर फैसला लिया गया, तो सीधे तौर पर इन कॉलोनियों को लाभ होगा। इनमें ज्यादातर अवैध कॉलोनियां पॉश इलाकों के नजदीक बसी हैं। मई 2018 में इन काॅलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इन कॉलोनियों के वैध करने के साथ ही बीती सरकार द्वारा ये दावा भी किया गया था कि, काॅलोनियों वैध होने के बाद यहां सड़क, बिजली, पेयजल आदि सुविधाएं मुहैया कराईं जाएंगी। लेकिन, सरकार के इस फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, जिसके बाद से ही ये प्रक्रिया अधर में है।
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वैध नहीं करेंगे तो ज्यादा खर्चा आएगा
सरकार द्वारा ये माना जा रहा है कि, अगर अवैध कॉलोनियों को वैध नहीं किया गया तो, हजारों इमारतों को तोड़ने में इससे कई अधिक खर्च होगा। महंगाई के इस दौर में इसका असर लाखों लोगों पर भी पड़ेगा। कई मामले कोर्ट में भी जा सकते हैं, जिसका निराकरण इसी में है कि, इन नया अधिनियम लाकर इन कॉलोनियों को वैध किया जाए, ताकि इन अवैध इलाकों से भी पर्याप्त राजस्व की वसूली है। सरकार धारा 15(ए) के तहत अनेक कॉलोनियों को नियमित कर चुकी है। यहां के रहवासी बड़ी राशि का भुगतान भी कर चुके हैं। यह राशि स्थानीय निकायों द्वारा संग्रहित की गई है। अगर अब भी ये कॉलोनियां वैध नहीं की गईं, तो निकायों को पैसा लौटाना पड़ेगा, जिससे सीधे तौर पर विकास कार्य बाधित होंगे। वहीं, नए अधिनियम के तहत अवैध निर्माण की गाइडलाइन तय हो जाने के बाद स्थानीय निकाय ऐसी कॉलोनियों को नियमित कर सकेंगे। अवैध निर्माण की परिभाषा क्या होगी, यह भी तय हो जाएगा।
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7 महीने पहले शून्य घोषित हुई धारा 15(A)
पूर्व की भाजपा सरकार में वैध करने के लिए नपा कॉलोनाइजर रजिस्ट्रीकरण निर्बन्धन तथा शर्तें नियम 1998 की धारा 15(A) में कार्रवाई की गई थी। बीते विधानसभा चुनाव के पहले शिवराज सरकार ने सभी कॉलोनियों को वैध कर दिया था। लेकिन, हाईकोर्ट ने 3 जून 2019 को नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 292-ई के प्रावधान के पालन में धारा 15(ए) को अवैध करार देते हुए शून्य घोषित कर दिया था। इसके बाद शिवराज सरकार द्वारा वैध की गईं सभी कॉलोनियां दौबार अवैध श्रेणी में आ गई थीं।