बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे काटजू
कैलाशनाथ काटजू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि वे बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वही बहुमुखी प्रतिभा उनमें हमेशा नजर आती रही। इसी का परिणाम था कि उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। वे एक श्रेष्ठ प्रशासक और विधिवेत्ता भी थे। एक अच्छे लेखक, सम्पादक, वक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रशासक आदि कई क्षेत्रों में लंबे समय तक काम करते रहे। लोग उन्हें प्रसिद्ध वकील और तेज तर्रार नेता के रूप में जानते थे। माना जाता है कि कैलाशनाथ काटजू भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के करीबी थे। नेहरू के साथ ही वे भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के भी करीबी भी माने जाते थे। यही कारण था कि उन्हें यूपी की पहली सरकार में मंत्री बनाने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने मनाया था।पहली लोक सभा के सदस्य बने
कैलाशनाथ काटजू भारत के एक प्रमुख राजनेता थे। वे उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय रक्षा मंत्री के रूप में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कैलाशनाथ काटजू को पहली लोकसभा का सदस्य बनने का गौरव भी प्राप्त था।
यहां जानें बिड़ला मंदिर बनने का रोचक किस्सा
कैलाशनाथ काटजू जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो, पदभार संभालते ही उन्होंने राजधानी भोपाल सहित प्रदेशभर में तेजी से काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने पहली प्राथमिकता तय की कि अब भोपाल को सजाया संवारा जाए। कैलाशनाथ काटजू चाहते थे कि भोपाल की अरेरा हिल्स की पहाड़ी पर एक भव्य मंदिर बनाया जाए। इसके लिए उन्होंने पहाड़ी पर जमीन अलॉट कर एक ट्रस्ट भी बनाया। वे चाहते थे कि भोपाल में बनने वाला यह मंदिर इतना सुंदर और भव्य हो कि दुनियाभर में पहचाना जाए। लेकिन तब कैलाशनाथ काटजू के इस ट्रस्ट में ज्यादा लोग जुड़ नहीं पाए थे।अपना कार्यकाल पूरा करने वाले मप्र के पहले सीएम
बता दें कि कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। दरअसल, मध्य प्रदेश के गठन के बाद प्रदेश के पहले दो मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल और भगवतराम मंडलोई को जल्द ही अपना पद छोड़ना पड़ा था। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपने करीब कैलाशनाथ काटजू को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मप्र में बड़ी जीत हासिल की। कैलाशनाथ काटजू दोबारा मुख्यमंत्री बने और वे पांच साल तक लगातार राज करने वाले मप्र के पहले सीएम बन गए।ये भी जरूर जानें
- कैलाशनाथ काटजू की प्रारम्भिक शिक्षा उनके ननिहाल लाहौर में हुई थी। इसके बाद लाहौर से ही उन्होंने बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में वे लॉ की पढ़ाई करने इलाहाबाद चले गए।
- इलाहाबाद में प्रसिद्ध कानूनविद सर तेज बहादुर सप्रू की देख-रेख में उन्होने अपनी पढ़ाई पूरी की और कुछ समय तक कानपुर में वकालत भी करते रहे।
- बाद में कैलाशनाथ काटजू इलाहाबाद हाईकोर्ट आ गए और यहां आकर वकालत करते हुए 1919 में कानून में LLD की डिग्री ली और फिर डॉ. कैलाशनाथ काटजू बन गए। उन्हे डी. लिट् उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
- 1914 में कैलाश नाथ काटजू हाईकोर्ट बार के सदस्य के रूप में चुने गए।
- 1935 से 1937 तक डॉ. काटजू ‘इलाहाबाद म्युनिसिपल काउंसिल के चेयरमैन रहे।
- 1936 में वकालत छोड़कर उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में मंत्री बने।
- तब इन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी भाग लिया था।
- 1946-1947 से संविधान सभा के सदस्य थे।
- 1946 में द्वितीय उत्तर प्रदेश विधानसभा के गठन के बाद कैलाश नाथ काटजू दोबारा मंत्री बनाए गए।
- 1947 से जून 1948 तक वे उड़ीसा के और 1948 से 1951 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
- 1951-1957 में वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कई विभागों के मंत्री रहे। कैलाश नाथ काटजू संविधान सभा के भी सदस्य रहे थे।
- मध्य प्रदेश का मंदसौर कैलाशनाथ काटजू का चुनाव क्षेत्र था और वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे।
- 31 जनवरी, 1957 से मार्च, 1962 तक डॉ. कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ।
- मध्य प्रदेश की प्रगति के लिए उन्होंने कई सराहनीय कार्य किए और प्रदेश को प्रगति के पथ पर अग्रसर रखा।
- वे इलाहाबाद लॉ जर्नल के सम्पादक रहे।
- ‘माइ पेरेण्ट्स’ और ‘रेमिनिसेंसेज एण्ड एक्सपेरीमेण्ट्स इन एडवोकेसी’ नामक दो पुस्तकों के लेखक थे।
- कैलाशनाथ काटजू की मृत्यु 17 फरवरी 1968 को हुई।