बावजूद इसके भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग में ऐसे कई उपभोक्ता आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना से मृत्यु के आधार पर बीमा कंपनियों ने क्लेम देने से मना कर दिया है। हर महीने इंश्योरेंस से संबंधित लगभग 30-35 केस आ रहे हैं, जिनमें से कई कोरोना से जुड़े हैं। आयोग ऐसे मामलों में परिवादी को न्याय दिला रहा है। क्योंकि, कोविड-19 से मौत के दावों के मामले में ‘फोर्स मैज्योर’ का प्रावधान लागू नहीं हो रहा है। फोर्स मैज्योर में सिर्फ अप्रत्याशित घटानाएं जैसे प्राकृतिक आपदा, जंग या ऐसी स्थितियां, हड़ताल इत्यादि शामिल हैं।
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उपभोक्ता ने की उपभोक्ता आयोग में शिकायत
अरेरा कॉलोनी निवासी अरूण शर्मा ने अपने माता-पिता का बीमा करवाया था। कोरोना की दूसरी लहर में पिता कोरोना का शिकार हुए। करीब एक महीने बाद वो गुजर गए। जब बीमा कंपनी को इस बात की सूचना दी गई तो कंपनी ने इस आधार पर क्लैम खारिज कर दिया कि, कोविड के कारण हुई मृत्यु का प्रावधान पॉलिसी में नहीं दिया गया है। उपभोक्ता ने इसकी शिकायत उपभोक्ता आयोग में की।
इसपर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग की बेंच 1 में अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल, सदस्य सुनील श्रीवास्तव और प्रतिभा पांडेय ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया। बीमा कंपनी परिवादी को बीमा क्लेम राशि ढ़ाई लाख रूपए दो महीने के अंदर चुकाएगी। साथ ही, मानसिक कष्ट के लिए 3 हजार और परिवादव्यय के लिए 3 हजार की क्षतिपूर्ति करेगी। एक ऐसे ही अन्य मामले में आयोग ने परिवादी को 4 लाख रूपए दिलाए।
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बीमाधारकों को क्लैम देना अनिवार्य
भोपाल के अधिवक्ता अजय दूबे का कहना है कि, कानून के अनुसार कोविड से हुई मृत्यु पर बीमा कंपनियों को बीमाधारकों को क्लैम देना अनिवार्य है। हालांकि, ऐसी कई शिकायतें मेरे पास भी आ रही हैं, जहां बीमा कंपनी इसे खारिज कर रही है। ऐसे में आप कानून की सहायता लें।
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