इस दौरान भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार डेंगू की जांच के लिए मान्य एलाइजा टेस्ट का प्रसार किया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि रेपिड कार्ड टेस्ट से डेंगू सकारात्मक प्रकरण में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी सिलसिले में सभी निजी अस्पताल में प्रचार प्रसार के लिए संबंधी बैनर पोस्टर लगाए जाने हैं। इस दौरान कलेक्टर अविनाश लवानिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी और जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे समेत शहर के शासकीय एवं निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स मौजूद रहे।
यहां कराएं डेंगू की फ्री जांच
शहर में एम्स, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेन्टर, जेपी अस्पताल सिविल अस्पताल बैरागढ़ और हमीदिया में डेंगू की फ्री जांच हो रही है । अगर आपको हल्के से भी लक्षण दिखते हैं तो यहां जरूर दिखाएं।
रेपिड पद्धति से कराई गई थी डेंगू जांच
हाल ही में जेपी अस्पताल में तैनात नर्स की गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से मौत हो गई। डॉक्टरों का कहना है कि महिला एनीमिया के साथ-साथ लीवर की समस्या से पीड़ित भी थी। बुखार आने पर महिला और उसके परिवार ने निजी लैब से रेपिड पद्धति से डेंगू की जांच कराई। हालांकि डेंगू की जांच के लिए रेपिड कार्ड पद्धति मान्य नहीं है। जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे का कहना है कि रेपिड कार्ड डेंगू की पुष्टि नहीं करता।
डेंगू के बारे में जानिए
मच्छर के काटे जाने के 3 से 5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है। इनके तीन प्रकार हैं।
1. क्लासिकल (साधारण):
ठंड के साथ अचानक तेज बुखार आना, सिर, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द (जो आंखें दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है) बहुत ज्यादा कमजोरी, भूख न लगना और जी मितलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-सा दर्द, शरीर खासकर चेहरे, गर्दन व छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज आदि। यह बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है। डेंगू का यही टाइप कॉमन है।
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार:
नाक-मसूड़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते पड़ जाना। इसमें गंभीरता अधिक होती है।
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम:
इसमें भी डेंगू हैमरेजिक बुखार के सभी लक्षणों के साथ ‘शॉक’ जैसे लक्षण भी होते हैं। जैसे मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है। मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।
मल्टीऑर्गन फेल्योर की भी आशंका
डेंगू से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूड बाहर निकल जाता है। पेट में पानी जमा हो जाता है। लंग्स व लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं। मरीज की नाड़ी कभी तेज, कभी धीरे चलने लगती है। बीपी लो हो जाता है।