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हमारी शादी ही नहीं हुईः पंकज
पंकज दयाल ने बताया कि, भले ही आज वो अपने नाम के साथ दयाल जोड़ती हो, मेरे नाम का मंगलसूत्र पहनती हो, मेरे नाम की मांग भरती हो, लेकिन हकीकत ये है कि, हम दोनो की शादी ही नहीं हुई। हालांकि, हम कुछ साल लिव इन में रहे हैं। मेने उसे इसलिए छोड़ दिया क्योंकि, पहले तो उसने मुझसे झूठ बोला, फिर उस झूठ पर शर्मिंदा होने के बजाया, मुझे ही ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया था।
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शादी से पहले थी आरती अहिरवार
पंकज दयाल ने बताया कि आरती, जो अपने आप को दयाल बताती है, उसका असली नाम आरती अहिरवार है। उसका परिवार छतरपुर के डेरी रोड पर स्थित कृष्णा कॉलोनी में आज भी रहता है। उसके पिता वृंदावन अहिरवार आरइएस विभाग में एसडीओ के पद पर पदस्थ हैं। दयाल ने बताया कि, उनकी शादी आरती से हुई ही नहीं, बल्कि आरती की शादी 2011-12 में फरीदाबाद के रहने वाले अनिल वर्मा से हुई थी। शादी के बाद उसका नाम आरती वर्मा हो गया था। लेकिन शादी से महज़ एक साल बाद ही वो अपने ससुराल से भाग गई थी और वापस छतरपुर आकर उसने थाने में अपने पति समेत पूरे ससुराल पर दहेज प्रताड़ना और घरेलु हिंसा के तहत मामला दर्ज करवाया था, जो अब भी कोर्ट में चल रहा है।
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सात्वना में बढ़ी थीं आरती से नज़दीकियांः पंकज
पंकज ने बताया कि, उसकी और आरती की नज़दीकियां सात्वना के कारण बढ़ी थीं। उससे एक तरफा सामने आई बातों में आकर मेरी हमदर्दी उसकी तरफ बढ़ गई। आरती ने पंकज को बताया था कि, अनिल वर्मा और उसके परिवार ने आरती का जीवन नरक कर दिया था, जिस कारण अब वो किसी भी शर्त पर अनिल के साथ नहीं रहना चाहती। कुछ दिनों में आरती ने पंकज को बताया कि, उसकी अनिल से तलाक हो गई है। इस तरह आरती ने मेरी हमदर्दी का फायदा उठाकर मुझसे नज़दीकियां बढ़ाईं। फिर वो मेरे ही साथ लिव इन में रहने लगी, जहां कुछ दिनों बाद मुझे पता लगा कि, आरती का अनिल से तलाक ही नहीं हुआ है, जिसके शक में मैने कोर्ट से उसके और अनिल के कैस से जुड़े दस्तावेज़ निकलवाए। जिसमें सामने आया कि, वो कैस तब भी चल रहा था। उसमें सम्मिलित एक शपथ पत्र में आरती ने कोर्ट से ये अपील का दबाव बनाया था कि, उसे उसके पति अनिल वर्मा के साथ रहने दिया जाए। लेकिन, अनिल ही उसे अपने साथ नहीं रखना चाह रहा था। इसके बाद मेने उससे इस संबंध में पूछा तो उसने बजाये इसपर शर्मिंदा होने के मुझे ही ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया।
पंकज पर भी लगाया दूसरी शादी का कैस
पंकज दयाल ने बताया कि, 19 फरवरी 2019 को उसकी शादी गुलगंज में होनी थी। लेकिन आरती ने अपने राजनीतिक रसूक के दम पर उसके खिलाफ सिविल लाइन थाना में दूसरी शादी करने का झूठा मामला दर्ज करवा दिया। जबकि, आरती से उसकी शादी हुई ही नहीं थी। साथ ही, लिव इन से अलग हुए भी उन्हें तीन साल बीत चुके थे। शादी के समय आरती ने पंकज के खिलाफ दूसरी शादी की झूठी रिपोर्ट कर दी, हांलाकि, सबूतों के अभाव में एक दिन लॉकप में रखकर उन्होंने पंकज को जमानत दे दी। फिर कहीं जाकर पंकज अपनी शादी कर पाया। आरती से नाता तोड़ने के बाद पिछले चार सालों से पंकज परिवार के साथ कटनी में ही रह रहा है, वहीं दयाल एसोसिएट्स के नाम से अपना बिजनेस चला रहा है।
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पंकज ने लगाई न्याय की गुहार
पंकज ने बताया कि, आरती ने उसके सरनेम से फर्जी आधार कार्ड भी बनवा रखा है। आज भी वो आरती अहिरवार या आरती वर्मा की जगह आरती दयाल के नाम का इस्तेमाल ही कर रही है। अब पंकज न्याय की लगा रहा है कि, आरती को उसके जीवन से पूरी तरह अलग करवाया जाए। जिस तरह वो कभी भी उसकी कंप्लेंट कराकर बंद करा देती है। घर और ऑफिस में गुड़े भेजकर धमकाती है। उसके सरनेम का इस्तेमाल नाम और दस्तावेजों में करती है। इस सब से उसे छुटकारा दिलाया जाए, ताकि वो अपना पारिवारिक जीवन भी सुखमयी जी सकें।