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-पातालपानी झरना
एक ओर अहिंसा पर्वत, दो तरफ चट्टानें और बीचो-बीच कल-कल करती दो पहाड़ी नदियां। पहाड़ियों पर हरी चादर में लिपटे झूमते पेड़ सैलानियों का मन मोह लेते हैं। दो पहाड़ी नदियों का पानी 300 फीट की ऊंचाई से कल-कल कर गिरते देखना सुखद अनुभूति देता है।
स्थिति : इंदौर-खंडवा रेल मार्ग पर स्थित इस स्थान पर सैलानियों के लिए पातालपानी स्टेशन से पहचाना जाता है।
ऐसे जाएं : राजधानी भोपाल से 226 किलोमीटर की दूरी पर बसे पातालपानी जाने के लिए वैसे तो कई ट्रेने हैं। लेकिन, इंदौर से मात्र 27 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 572 मीटर की ऊंचाई पर बने इस लुभावने स्थान तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग बेहतर है। इंदौर से महू की 21 किलोमीटर की दूरी और फिर 6 किलोमीटर की दूरी पर इस दृश्य का नजारा लिया जा सकता है।
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-चोरल नदी
-सीतलामाता फॉल
सीतलामाता फॉल चारों ओर पहाड़ियों से घिरा है। बारिश में यहां दर्जनभर से ज्यादा झरने जीवंत हो जाते हैं, साथ ही, सर्दियों के सीजन में भी यहां के नजारे अद्भुत और आकर्षण का मुख्य केन्द्र बन जाते हैं। करीब 350 फीट सीढ़ियां उतरने के दौरान भी मनोरम नजारा सैलानियों का मन मोह लेता है। लंगूर व बंदरों को पेड़ व चट्टानों पर उछलकूद करना प्रकृति के बेहद करीब लाता है।
स्थिति: महू तहसील के इस फॉल तक का रास्ता सड़क से है। निजी वाहनों से पहले मानपुर और फिर 5 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है।
कैसे जाएं: राजधानी भोपाल से 246 कि.मी की दूरी पर स्थित इंदौर से महज 43 किलोमीटर की दूरी पर ये स्थान एबी रोड पर स्थित है। इंदौर से 38 किलोमीटर दूर मानपुर और फिर 5 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है।
सतर्कता : फॉल निहारने के लिए कुंड के पास जाना होता है। सुरक्षा के मद्देनजर यहां चौकीदारों की तैनाती की गई है। लेकिन एक साथ दर्जनभर झरने को देख सैलानी मुग्ध हो जाते हैं। वे कुंड उतर आते हैं। इससे दुर्घटनाका खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में ध्यान रखें कि, ऐसे स्थान पर सुरक्षा बेहद जरूरी है।
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-कजलीगढ़
कजलीगढ़ – महू तहसील के सिमरोल गांव का बेहद पुराना स्थान। यहां होलकरकालीन किला भी मौजूद है। शिकारगाह के लिए मशहूर रहा यह स्थान रहस्य से भरपूर है। एक ओर किला, दूसरी ओर शिव मंदिर और यहीं बहता झरना सुखद लगता है।
स्थिति: किले के विशाल दरवाजे के पास साधु-संतों का डेरा है। किलेनुमा परकोटे में दूर तक फैले सन्नाटे को चीरती हवा चलती है। परकोटे के सीढ़ीदार गुंबद किले के स्थापत्य कला की कहानी कहती है।
कैसे जाएं: भोपाल से करीब 220 कि.मी स्थित कजलीगढ़ जाने के लिए इंदौर मार्ग से गुजरना होगा। इंदौर से मात्र 20 कि.मी दूर इस स्थान पर सिमरोल के रास्ते जाया जा सकता है। यहां से कजलीगढ़ के लिए मुड़ते ही पेड़ों-पहाड़ों की हरियाली मन मोह लेती है।
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-मांडू
मांडू सफर कश्मीर की याद दिलाता है। यहां की हरी-भरी वादियां, नर्मदा का सुरम्य तट ये सब मिलकर मांडू को मालवा का स्वर्ग बनाते हैं। चार वंशों परमार काल, सुल्तान काल, मुगल काल और पवार काल का कार्यकाल देख चुका मांडू जहाज महल देश के सबसे चर्चित स्मारकों में से एक है।
स्थिति: चारों ओर पानी से घिरे होने के कारण ये जहाज का दृश्य बनाता है। इसकी आकृति टी के आकार की है। इसका निर्माण परमार राजा मुंज के समय हुआ किंतु इसके सुदृढ़ीकरण का श्रेय गयासुद्दीन खिलजी को है।
कैसे जाएं : राजधानी भोपाल से 288 कि.मी की दूरी पर बसे इस अद्भुत पर्यटन स्थल को एबी रोड स्थित इस स्थान पर इंदौर से सड़क मार्ग के जरिए जाया जा सकता है। 94 किलोमीटर की दूरी पर इस स्थान तक पहुंचने के लिए करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है। हालांकि, ये एक ऐसा स्थान है, जहां पहुंचने के बाद सैलानियों की सारी थकान पलभर में दूर हो जाती हैं।