एमपी सैक के अधिकारियों की माने तो कई बार मरीज खुद ही दवाएं लेना छोड़ देता है। दरअसल, एचआइवी की दवाओं से मरीजों को शुरुआत में दिक्कत होती है। इनके सेवन से कुछ मरीजों को गरमी तो किसी को एलर्जी होने लगती है। ऐसे मे वे दवाएं लेना छोड़ देते हैं। हालांकि इस मामले में हमीदिया अस्पताल के एआरटी सेंटर प्रभारी हेमंत वर्मा कहते हैं कि दवाओं का अच्छा असर होता है। लगातार दवाओं के सेवन से मरीजों की उम्र 25 से 30 साल तक बढ़ जाती है।
इन गायब मरीजों को ढ़ूंढऩे में जुटे स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ी हुई हैं, क्योंकि गाइड लाइन के मुताबिक एचआईवी पॉजीटिव की पहचान को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाना होता है। ऐसे में गुपचुप ही इन मरीजों की तलाश की जा रही है। इस तरह तलाश में विभाग को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदेश में अब तक एचआईवी पॉजिटिव – 43959
अब तक एआरटी सेंटर में पंजीकृत- 32738
एआरटी सेंटर में एक्टिव केयर में पॉजीटिव- 18639
एआरटी में इलाज ले रहे- 14755
अब तक मौत- 7000
(नोट : 1900 की मौत एआरटी में जाने के पहले व बाकी की इलाज के दौरान हुई)