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गुडनाइट कहने के बाद 30 मिनट के भीतर नींद आ जाए। रात में पांच मिनट से ज्यादा नींद डिस्टर्ब न हो। जागे भी तो फिर तुरंत नींद में चले जाएं। कम से कम आठ घंटे की नींद लें। सुबह उठें तो तरोताजा महसूस करें।
नींद न आने के ये नुकसान
कम नींद से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से होने वाले हृदय रोग, हृदयाघात, अवसाद जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है। नींद न आने की वजह से दिनभर सिर भारी सा लगता है।
अच्छी नींद के ये फायदे
नींद आराम करना भर नहीं है, यह ऊर्जा भंडार को दुरुस्त करती है। याददाश्त को दुरुस्त रखती है। गहरी नींद में शरीर घावों को पूरा करता है और इयुनिटी को बढ़ाता है। दिनभर व्यक्ति में चैतन्यता रहती है।
क्यों गायब है आंखों से नींद
नींद सर्केडियन रिद्म से नियंत्रित होती है। यानी प्रकाश के संकेतों के हिसाब से काम करती है। रात होते ही रोशनी कम होने पर मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन बनता है। यह सोने में मदद करता है। लेकिन मोबाइल की नीली रोशनी मेलाटोनिन बनने से रोकती है। डॉ. रुचि सोनी, जीएमसी का कहना है कि रिवार्ड सर्किट के एक्टिवेशन से व्यक्ति किसी लत का शिकार होता है। जब कोई ऐसा काम करता है तो सर्किट एक्टिवेट होकर खुश करने वाले हार्मोन रिलीज करता है। जिससे व्यक्ति को वही कार्य बार बार करता है। रील देखते वक्त यही होता है। वह एक के बाद एक रील देखता रहता है। इसमें मेलाटोनिन रसायन भी बड़ी भूमिका निभाता है।
दुश्मन नंबर वन मोबाइल फोन
स्लीप स्पेशलिस्ट का कहना है स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल नींद का दुश्मन नंबर वन है। इलाज के लिए आने वाले 54 फीसदी लोग सोशल मीडिया और ओटीटी की वजह से देर तक जागते थे, 88 फीसदी ने बिस्तर पर जाने से ठीक पहले फोन का इस्तेमाल किया था।