23% महिलाएं, 77% पुरुषों की काउंसलिंग
जिला तंबाकू नियंत्रण निगरानी दल (District Tobacco Control Monitoring Team) के अनुसार, अप्रेल 2022 से मई 2023 तक 650 लोग काउंसलिंग को आए। इनमें 77% (500) पुरुष व 23% (150) महिलाएं थीं। रीजनल रेस्पिरेटरी इंस्टीट्यूट में अस्थमा की पहचान के लिए सांस की जांच होती है। इसके लिए फिनो (फ्रैक्शनल एक्सहेल्ड नाइट्रिक ऑक्साइड) टेस्ट मौजूद है। यह टेस्ट सांसों में मौजूद नाइट्रिक ऑक्साइड गैस की मात्रा मापते हैं। यदि सांस छोड़ते समय सांस में यह गैस बहुत अधिक है, तो साफ है कि फेफड़ों के साथ सांस की नलियों सूजन है। यह अस्थमा, एलर्जी या एक्जिमा वाले लोगों में आम होता है। बच्चों के लिए विशेष रूप से फोट टेस्ट भी मौजूद है। इसमें तरंगों से सांस की नलियों की जांच होती है।
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धूम्रपान से दवा का असर होता है कम
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा है, किशोरावस्था व वयस्कता में धूम्रपान से दवा का असर कम होता है। ऐसे लोगों का अस्थमा का इलाज कठिन होता है। ऐसी महिलाओं के बच्चों की स्टैमिना कम होती है। वे जीवनभर फेफड़े संबंधी बीमारी से ग्रस्त रहते हैं।
घर में धूम्रपान तो बच्चों को रखें दूर
स्त्री रोग विशेषज्ञ व राष्ट्रीय कैंपेन मदर अगेंस्ट वेपिंग से जुड़ीं डॉ. वरुणा पाठक ने बताया, गर्भावस्था-स्तनपान के दौरान धूम्रपान से बच्चों के फेफड़ों व शरीर को नुकसान होता है। जिन घरों में धूम्रपान होता है, वहां बच्चों में गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है।