आपको जानकर हैरानी होगी कि मध्य प्रदेश के कई गणेश मंदिर ऐसे हैं, जहां दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश और दुनिया से भक्त यहां पहुंचते हैं। दरअसल मान्यता है कि इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही भक्तों के दिन फिर जाते हैं। उनके मन की मुराद पूरी होती है। गणेश उत्सव गणेश चतुर्थी के अवसर पर आज patrika.com आपको लेकर जा रहा है एमपी के चमत्कारिक गणेश मंदिरों में… जिनके बारे में जानकर आप भी दर्शन करने जरूर आएंगे यहां…
भगवान गणेश का अनोखा मंदिर, प्रतिमा से हीरे की आंखें चुरा ले गए चोर, तो 21 दिन तक आंखों से बही दूध की धारा
चिंतामन गणेश मंदिर- सीहोर भारत में स्थित चार स्वयं-भू चिंतामन गणेश मंदिरों में से एक है अति प्राचीन विक्रमादित्य कालीन ऐतिहासिक श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर। एमपी के सीहोर जिले में स्थापित इस मंदिर की अपनी महिमा है। यह मंदिर सीहोर के वायव्य पश्चिम-उत्तर कोण में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 2000 वर्ष पूर्व उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था। मंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की प्रतिमा खड़ी अवस्था में है। यह प्रतिमा आधी जमीन के अंदर धंसी हुई है, इसलिए यहां भक्तों को आधी प्रतिमा के ही दर्शन होते हैं। मान्यता है कि यह स्वयंभू प्रतिमा है।
पुजारी को स्वप्न में कहा -मेरी आंखों में चांदी के नेत्र लगवा दो
84 सिद्धों में से एक होने के कारण चिंतामन गणेश में कई तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है। बताया जाता है कि गणेशजी के मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। 150 साल पहले तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था। तब चोरों ने प्रतिमा की आंखों में लगे हीरे ही चोरी कर लिए। कहा जाता है कि तब गणेशजी की इस प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा बही थी।
कहा जाता है कि उस समय भगवान गणेश ने यहां नियमित रूप से पूजा करने वाले पुजारी को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मैं खंडित नहीं हुआ हूं। तुम मेरी आंखों में चांदी के नेत्र लगवा दो। तब भगवान गणेश की आंखों में चांदी के नेत्र लगाए गए। इस दौरान विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया।
मंदिर की दीवार पर बनाते है उल्टा स्वास्तिक
ऐतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रदेश भर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। मान्यता है कि श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अरदास लगाकर मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि जब मन्नत पूरी हो जाती है, तब भक्त यहां आकर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं।गणेश चतुर्थदशी पर लगता है भव्य मेला
चिंतामन गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के साथ शुरू होने वाले 10 दिन के गणेश उत्सव के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और भगवान गणेश के दर्शन करते हैं।एक बार टीले पर रखी प्रतिमा फिर उठाई तो हिली तक नहीं
खजराना गणेश मंदिर – इंदौर (Khajrana Ganesh Mandir Indore) खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Temple Indore) का निर्माण होलकर राजवंश की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1735 में करवाया था। जानकारी के मुताबिक 1733 में देवी अहिल्या ने इसका जीर्णोद्धार किया था। संबंधित खबरें: Ganesh Chaturthi: भोपाल के राजा के लिए मथुरा के एक्सपर्ट तैयार कर रहे छप्पन भोग, शहर के सबसे अमीर गणेश
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गणेश जी ने स्वप्न में दिए थे दर्शन
विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर (Khajrana Ganesh Mandir) देवी अहिल्याबाई होलकर (Dvi Ahilyabai Holkar)के समय का मंदिर है। मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट के मुताबिक उनके परिवार के मूल पुरुष वैद्य मंगल मूर्ति भट्ट को करीब आठ पीढ़ी पहले भगवान गणेश ने स्वप्न में दर्शन दिए थे और कहा था कि तुम जहां गाय चराते हो वहां मैं हूं, मुझे यहां से निकालो।इस पर उन्होंने मां अहिल्या देवी होलकर के दरबार में निवेदन किया। तब उन्होंने अपने दूत भेजकर यहां से गणेशजी की प्रतिमा निकाली। वे प्रतिमा को राजबाड़ा के पास स्थापित करना चाह रहे थे। इस बीच वैद्य भट्ट ने मूर्ति को उठाकर यहां एक टीले पर रखा दिया।
इसके बाद जब प्रतिमा (Lord Ganesha statue) को स्थापित करने के लिए उठाया गया तो लाख कोशिश के बाद भी प्रतिमा कोई हिला भी नहीं सका। इस पर अहिल्या बाई होलकर ने यहीं इनका मंदिर बनवा दिया। तब से ही कहा जाता है कि इस चमत्कारिक प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी हो जाती है।
कहा जाता है कि मंदिर में प्राचीन मूर्ति एक स्थानीय पुजारी पंडित मंगल भट्ट के सपने में देखी गई थी। मंदिर का प्रबंधन अभी भी भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है।
धागा बांधकर मांगी जाती है मन्नत
यहां रोते-बिलखते, दुखियारे भक्त मन की मुराद मांगने आते तो खाली हाथ हैं, लेकिन कभी भी खाली हाथ नहीं लौटते, भगवान के आशीर्वाद के साथ वे एक उम्मीद लिए यहां से जाते हैं। यहां दर्शन करने के बाद जल्द ही उनकी मुराद पूरी हो जाती है। मनोकामना के लिए भक्त मंदिर के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और अपने काम के सफल समापन के लिए भगवान गणेश (Lord Ganesha) से प्रार्थना करते हुए एक धागा बांधते हैं। कहा जाता है कि कुछ ही दिनों में काम सफल होने या पूरा होने पर भक्त यहां आते हैं और भगवान को धन्यवाद देते हैं।