पूर्व सीएम कमलनाथ अपने कई साथियों को भाजपा में जाने से नहीं रोक पाए। अब बाकी नाराज और अपने करीबी नेताओं को मनाने में जुट गए हैं। इसी सिलसिले में कमलनाथ ने अपने क्षेत्र के कांग्रेस के पांच विधायकों को दीपक सक्सेना के पास भेजा था। इनमें कांग्रेस विधायक सोहन बाल्मिक, विजय चौरे, सुनील उइके, नीलेश उइके, सुजीत चौधरी रोहना पहुंचे। यह लोग एक घंटे तक दीपक सक्सेना से चर्चा करते रहे। इसके थोड़ी देर बाद अचानक कमलनाथ भी वहां पहुंच गए और फिर दीपक सक्सेना के साथ 20 मिनट तक बंद कमरे में चर्चा होती रही।
बताया जा रहा है कि दीपक को कांग्रेस में बने रहने और कमलनाथ का साथ देने के मनाने का प्रयास किया गया। इसकी खबर न तो विधायकों को थी और न दीपक सक्सेना को थी। हालांकि कमलनाथ रोहना में कुछ ही पल रहे। उन्होंने दीपक से बंद कमरे में बातचीत की। इस दौान दीपक की पत्नी भी साथ थीं। इसके बाद कमलनाथ सिमरिया हनुमान मंदिर के लिए रवाना हो गए। यहां उन्होंने पूजा-पाठ की। बताया जा रहा है कि कमलनाथ ने दीपक से कांग्रेस की सेवा करने को कहा है। कुछ दिन पहले ही दीपक के चोटे बेटे अजय सक्सेना भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद दीपक ने भी इस्तीफा दिया था। वहीं बड़े बेटे जय सक्सेना अब भी कांग्रेस पार्टी में हैं। उनके एक बेटे भाजपा प्रत्याशी तो दूसरा बेटा कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांग रहा है। बताया जा रहा है कि दीपक सक्सेना ने भी भाजपा में जाने का मन बना लिया है, जिसकी खबर कमलनाथ को लग गई थी। यही कारण है कि वे छिंदवाड़ा में रोहना स्थित दीपक के बंगले पर मिलने पहुंचे थे।
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पिछले कुछ दिनों से दीपक सक्सेना के भाजपा में जाने की अटकलें चल रही है। इसी सिलसिले में भाजपा के दिग्गज नेता छिंदवाड़ा में दीपक सक्सेना के घर पहुंच गए थे। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय सहित अन्य नेता दीपक सक्सेना के घर मिलने गए थे। इन्होंने बंद कमरे में चर्चा भी की थी।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की राजनीतिक का केंद्र बन चुके छिंदवाड़ा में सबकुछ ठीक नहीं है। एक के बाद एक कई कांग्रेस नेता भाजपा में चले गए। हाल ही में अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह अपनी पत्नी के साथ भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहाके भी भाजपा में चले गए। पिछले कुछ माह में छिंदवाड़ा क्षेत्र से 600 से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक भी भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। कई लोगों ने कांग्रेस छोड़ने का कारण कमलनाथ के बेटे एवं छिंदवाड़ा प्रत्याशी नकुलनाथ को बताया था। उनका कहना है कि वे अपने ही लोगों से अभद्र तरीके से बात करते हैं।
वर्ष 1974 से कांग्रेस के सदस्य रहे दीपक सक्सेना ने वर्ष 1980 में कमलनाथ के छिंदवाड़ा आते ही जुगलबंदी की। कमलनाथ के साथ रहने पर सक्सेना को जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष, वर्ष 1993, 1998, 2008 और 2018 में विधायक बनने का अवसर मिला। दिग्विजय सिंह सरकार के समय दो बार पीएचई मंत्री रहे। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और सचिव का दायित्व भी संभाला। वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार बनने पर विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर बने।
2019 में जब कमलनाथ सीएम बने तो उनके उपचुनाव लडऩे के लिए अपनी विधायकी सीट छोडऩे वाले सक्सेना ही थे। एक समय यह भी था कि कमलनाथ जब दिल्ली-भोपाल से छिंदवाड़ा आते थे तो हवाई पट्टी से उनकी कार के ड्राइवर सक्सेना ही होते थे। छिंदवाड़ा से लेकर भोपाल और दिल्ली की राजनीति में दीपक सक्सेना को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सबसे करीबी नेताओं में गिना जाता है। उन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया। संगठन और सरकार में कई बड़ी रणनीति को अंजाम देने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। स्थानीय स्तर पर कमलनाथ, नकुलनाथ के बाद वे तीसरे नंबर के नेता माने जाते रहे।