350 ग्रामीण महिलाओं को बनाया सशक्त
नीतादीप ने बताया कि ये काम अकेले संभव नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने साथ और लोगों को जोड़ने की योजना बनाई। लिहाजा उन्होंने भोपाल के आसपास के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को चुना। जिन्हें वो पहले गोबर के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया और बाद में उनसे उत्पाद बनवाकर भोपाल या आसपास के शहरों में मेले लगाकर उसे लोगों तक पहुंचाया। जिससे महिलाएं पर्यावरण तो बचा ही रही हैं साथ ही चार पैसे पाकर खुद को सशक्त भी महसूस करती हैं। नीता के इस अभियान से करीब 350 ग्रामीण महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
देश के करीब 20 प्रदेशों में प्रोडक्ट की डिमांड
नीता बताती हैं कि पहले लोगों को गोबर से बने उत्पाद देखने पर आश्चर्य होता था। लेकिन अब धीरे- धीरे लोग इसको लेकर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि अब पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। इसलिए अब धीरे- धीरे इनकी डिमांड बढ़ रही है। हालही में राजस्थान के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी का पहली बार हमारे गोबर की बनी ज्वैलरी से श्रृंगार किया था। ऐसे ही लोग जुड़ रहे हैं। और अब प्रदेश के करीब 20 प्रदेशों में प्रोडक्ट जाते हैं।
शिक्षा– जीवन के छोटे- छोटे प्रयास की बड़े लक्ष्य के करीब ले जाते हैं। जैसे नीता ने पहले अकेले शुरूआत की और अब सैकड़ों लोग उनके इस अभियान से आकर जुड़ गए।