दूसरी सिफारिश में उन्होंने टाइम ऑफ डे टैरिफ (TOD Tariff) लागू करने की बात कही है जिससे मिडिल क्लास की जेब बिजली बिल भरते समय और खाली हो जाएगी। आयोग ने बिजली कंपनियों के इन प्रस्तावों को लेकर 24 जनवरी तक आपत्तियां मांगी है। इन प्रस्तावों को लेकर चर्चा 11-15 फरवरी के बीच की जाएगी।
एमपी में बढ़ सकती है Exam Fees, कर्मचारी चयन मंडल जल्द ले सकता है फैसला क्या है टाइम ऑफ डे टैरिफ?
टाइम ऑफ डे टैरिफ एक गतिशील प्राइसिंग स्ट्रक्चर है जो दिन के समय के आधार पर बिजली की लागत को समायोजित करती है। यह पारंपरिक फ्लैट-रेट टैरिफ से अलग है, जो बिजली के उपयोग के समय की परवाह किए बिना एक निश्चित कीमत वसूलता है। आसान भाषा में, बिजली की खपत का शुल्क दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है। दिन के समय बिजली खपत पर छूट दी जा सकती है, जबकि पीक आवर्स, जैसे सुबह और शाम के समय, बिजली महंगी हो सकती है।
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अगर बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर टाइम ऑफ डे टैरिफ को लागू कर दिया गया तो 10 किलोवॉट से अधिक खपत वाले 11 लाख उपभोक्ताओं के पीक आवर्स में बिजली दरों में 20% की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। यह प्रदेश के छोटे और माध्यम वर्ग के लोगों के लिए चिंता का विषय है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए उपभोक्ताओं को नियामक आयोग के पास अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का मौका दिया गया है।