मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में स्थानीय चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन सरकार ने कोरोना का हवाला देते इसे टालने के लिए आयोग से कहा था। चूंकि अब कोरोना का प्रभाव कम हो गया है, इसलिए आयोग ने चुनाव की पहल फिर शुरू कर दी गई है। ये चुनाव मतदाता सूची एक जनवरी-2021 के आधार पर कराए जाएंगे।
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इधर जनपद पंचायतों में आरक्षण पूर्ण
जनपद पंचायतों में अध्यक्षों ज सदस्यों तथा सरपंच, पंचों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पूर्व में किए गए आरक्षण के आधार पर ही चुनाव कराए जाएंगे। सरकार ने आरक्षण की जानकारी राज्य निर्वावन आयोग को पांच माह पहले ही दे दी है। अब जब भी पंचायतों में चुनाव होंगे, इसी आरक्षण के आधार पर किए जाएंगे
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कोरोना पर टिका आयोग का फैसला
आयोग का मानना है कि विशेषज्ञों ने जुलाई-अगस्त में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना जताई अब फिर से तीसरी लहर नवंबर में आने की बात कही जा रही है। इसे देखते हुए चुनाव कराने और नहीं कराने पर फैपला लिया जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे निकाय चुनाव
हाईकोर्ट ग्वालियर ने निकायों में आरक्षण रोटेशन के आधार पर करने के लिए कहा है। वहीं सरकार हमेशा से जनसंख्या के आधार पर महापौर, अध्यक्ष सहित अन्य पदों के लिए जतिगत आरक्षण करती आ रही है। इसे लेकर संगठनों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें ग्वालियर बेंच ने इसमें यह फैसला दिया खा कि संविधान के अनुसार रोटेशन के आधार पर ही चुनाव कराए जाएं। इसे लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं हो जाता है तब तक निकायों में चुनाव नहीं होंगे।