पढ़ें ये खास खबर- सिर्फ पर्यटन ही नहीं बल्कि स्वादिष्ट फूड से भी है MP की पहचान, स्वाद भुला नहीं पाएंगे आप
इसलिए बढ़ रही है लोगों में लत
ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रानिक सिगरेट को पर्सनल वेपोराइज़र भी कहा जाता है। ये एक इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर होता है, जो लिक्विड को भाप में बदल देता है। ये पीने से सिगरेट का अहसास कराता है। इसलिए, युवाओं और स्कूली बच्चों में इसका नशा काफी तेज़ी से बढ़ रहा है।
पढ़ें ये खास खबर- रोज़ाना की ये गलत आदतें आपकी सेहत को पहुंचा सकती है भारी नुकसान, बढ़ता है कैंसर का खतरा
ई-सिगरेट के नुकसान
आपको बता दें कि, ई-सिगरेट को काट्रीज, ऐटमाइज़र, बैट्री और लिक्विड की मदद से बनाया जाता है। इसके लिक्विड में ऐसे केमिकल होते हैं, जो ई-तरल पदार्थों के संपर्क में आने वाली एंडोथेलियम कोशिकाओं यानी डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले फ्लेवर खासकर दालचीनी और मेंथॉल को एक साथ पीने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ये फेफड़ों को भी पूरी तरह नष्ट करने में सक्षम होता है।
पढ़ें ये खास खबर- सुबह खाली पेट भूलकर भी ना करें इन चीजों का सेवन, फायदेमंद होकर भी पहुंचाती है नुकसान
हो सकता है फेफड़ों का कैंसर
ई-सिगरेट पीने वाले लोगों को लगता है कि, इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होता, लेकिन ये सोच सरासर गलत है। इसमें नार्मल सिगरेट पीने जैसे ही नुकसान होते हैं। इन दोनो तरह की सिगरेटों में अंतर किया जाए, तो वो सिर्फ इतना है, कि नार्मल सिगरेट से निकलने वाला धुआं साफ दिखाई देता है, और ई- सिगरेट में बहुत कम। आमतौर पर ई-सिगरेट में जिस केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, वो लिक्विड फॉर्म में होता है। इसमें निकोटीन के अलावा खुशबू के लिए एक तरह का केमिकल भी डाला जाता है, जो इतना खतरनाक होता है कि, कुछ ही समय की लत के बाद स्मोकर को फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।
पढ़ें ये खास खबर- अब घर पर चमकाएं अपने नए-पुराने सोने-चांदी के गहने, काम आएंगे ये आसान टिप्स
दिल की बीमारी की वजह
ये बात तो सभी जानते हैं कि, निकोटिन एक तरह का घातक नशीला पदार्थ होता है। यही कारण है कि, इसके संपर्क में आने वाले को इसकी लत लग जाती है। इसकी लत ऐसी होती है कि, अगर समोकर इसका नशा ना करे तो वो बैचेन हो जाता है। हालांकि, ये दिल और सांस के मरीजों के लिए धीमे ज़हर के समान है। इसी तरह हुक्के में भी ई-लिक्विड फ्लेवर मिश्रित होता है, जो एंटी बैक्टीरियल सिस्टम को बहुत तेज़ी से नुकसान पहुंचाता है।