अभी तक हुए सर्वे के मुताबिक स्थानीय विधायकों के प्रति लोगों की नाराजगी ज्यादा है, इसको दूर करना सबसे बड़ी चुनौती है। अधिकतर विधायकों के साढ़े चार साल के रवैये ने उन्हें जनता को उनसे दूर कर दिया है। विधायकों की जनता और कार्यकर्ताओं के बीच की खाई को पाटने के लिए संगठन ने सबसे अनुभवी नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। इस पूरी रणनीति का मकसद सीएम की जनआशीर्वाद यात्रा के पहले प्रदेश का माहौल भाजपा के अनुकूल बनाना है, ताकि चौथी बार सरकार बनाई जा सके।
इन नेताओं को मिली जिम्मेदारी
प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह महाकौशल और विंध्य का इलाका संभालेंगे। राकेश सिंह अध्यक्ष बनने के बाद दस संभागों का दौरा भी कर चुके हैं। इन दौरों में राकेश सिंह ने कार्यकर्ताओं की नब्ज पकडने की कोशिश की है। इस अनुभव के आधार पर राकेश सिंह प्रदेश के अलावा महाकौशल और विंध्य पर पूरा फोकस करेंगे।
संगठन महामंत्री सुहास भगत को मालवा और निमाड़ का जिम्मा सौंपा गया है। मालवा संघ का गढ़ माना जाता है, इसलिए भगत को ये जिम्मेदारी दी गई है। सह संगठन महामंत्री अतुल राय को ग्वालियर और बुंदेलखंड का प्रभार दिया गया है। अतुल राय के संगठन कौशल को पार्टी ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड जैसे कठिन क्षेत्रों में आजमाना चाहती है। पूर्व संगठन महामंत्री माखन सिंह को मध्यभारत और पूर्व सह संगठन महामंत्री भगवतशरण माथुर को एससी9एसटी वर्ग के बीच काम करने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
वॉर रूम भी हो रहा तैयार
प्रदेश भाजपा का इलेक्शन वॉर रूम भी तैयार होने लगा है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बनने के बाद इस काम ने जोर पकड़ लिया है। इस संबंध में हाल ही के दौरे के समय तोमर ने सीएम से चर्चा भी की है। एंटी इन्कमबेंसी दूर करने और कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए इस वॉर रूम का उपयोग शुरू होने वाला है। वॉर रूम से ही संगठन के बड़े नेता एक साथ मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं से बात कर सकते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया से जरिए हर पंचायत से आने वाले फीडबैक के आधार पर भी रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। यहां पर हर दिन एक वरिष्ठ नेता की डयूटी लगाई जाएगी, जिनमें मंत्री भी शामिल होंगे।
हर बूथ पर 50 फीसदी वोट पाने का लक्ष्य
नई दिल्ली से मिले लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी प्रदेश भाजपा ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने वोट बढ़ाने का लक्ष्य 20 फीसदी से 50 फीसदी कर दिया है। यानी हर बूथ पर भाजपा को 50 फीसदी वोट मिलना चाहिए। इस कठिन लक्ष्य को पाने के लिए भी संघ से जुड़े इन वरिष्ठ नेताओं को लगाया जा रहा है। एंटी इन्कमबेंसी कम होगी, तभी इस टारगेट को हासिल किया जा सकता है।
2018 के विधानसभा चुनाव के मद्देेनजर हमने अपने संगठन की स्थिति का लगातार विश्लेषण किया है, जहां हमारी स्थिति अनुकूल नहीं है, उस पर हमारा फोकस है, हमारा लक्ष्य अगले चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करना है। रणनीति के लिहाज से इन क्षेत्रों पर वरिष्ठ नेता पार्टी को मजबूत बनाने के लिए ध्यान दे रहे हैं।
– दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा, मप्र