लोगोें की लापरवाही के कारण कई जगहों पर कोरोना के केस फिर बढ़ रहे हैं. ऐसे में वैक्सीनेशन की दूसरी डोज पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश में विपरीत परिस्थितियों में भी रिकार्ड वेक्सीनेशन किया गया इसलिए वैक्सीनेशन की दूसरी डोज पर देशभर में मध्यप्रदेश मॉडल अपनाया जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की इस घोषणा के बाद प्रदेश में दोबारा सख्त कदम उठाए जाने लगे हैं.
कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए वैक्सीन के दूसरे डोज को लेकर प्रशासन कड़े कदम उठा रहा है। जिलों के कलेक्टर सख्त हो गए हैं. इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह के आदेश के बाद अब उन्हीं लोगों को किराया या अन्य जरूरी सामान दिया जा रहा है जिनके दोनों डोज हो चुके हैं। यहां शॉपिंग मॉल्स में ऐसे लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है जिन्होंने दूसरा डोज नहीं लगवाया.
मॉल्स के मेन गेट पर ही लोगों से दूसरे डोज का सर्टिफिकेट या मैसेज दिखाने को कहा जा रहा है और जो नहीं दिखा पा रहे हैं उन्हें एंट्री नहीं दी जा रही है. सभी मशहूर मॉल में यह व्यवस्था शुरू कर दी गई है। शहर में अब 1 दिसम्बर से दूसरे डोज का सर्टिफिकेट दिखाए बगैर मंडी में भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं प्राणी संग्रहालय, रीजनल पार्क आदि में ीाी दूसरे डोज का मैसेज बताने पर ही इंट्री दी जा रही है।
इधर सिंगरौली कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने तो बेहद सख्त आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने आदेश में कहा है कि 15 दिसम्बर तक दोनों डोज नहीं लगवानेवालों पर एफआईआर दर्ज करा दी जाएगी. ऐसे लोग यदि किसी सार्वजनिक कार्यक्रम, शादी विवाह में शामिल हुए तो उन पर अपराधिक केस दर्ज कर दिया जाएगा।
“टीका नहीं तो राशन नहीं, शराब नहीं’
इसके साथ ही खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा राशन के लिए परिवार के सभी सदस्यों को दोनों ही डोज का वैक्सीनेशन अनिवार्य किया गया था। रतलाम में अब शराब की दुकान हो या शासकीय राशन की दुकान या फिर सहकारी खाद केन्द्र, सभी जगह आने वाले लोगों के लिए वैक्सीनेशन लगवाना अनिवार्य हो गया है.
सेकेंड डोज नहीं तो पेट्रोल-डीजल नहीं
ग्वालियर जिले में वैक्सीन नहीं लगवाने पर प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि जिन लोगों ने दूसरा डोज लेने में लापरवाही बरती है उन्हें पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा. इसके लिए पेट्रोल पंपों पर चेकिंग अभियान चलाया जाएगा. इससे पहले भी ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने राशन की दुकानों और अन्य संस्थानों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के लिए निर्देशित किया था.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में एक दिन में 17.42 लाख टीकाकरण कर रिकार्ड कायम किया गया था. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक में इससे प्रेरणा लेकर ‘हर घर दस्तक’ अभियान शुरू करने की बात कही थी. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मध्यप्रदेश के टीकाकरण अभियान की प्रशंसा कर चुके हैं.
कोविड वैक्सीनेशन के इस रिकार्ड के बाद से ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक समेत कई राज्यों के अधिकारियों द्वारा मध्यप्रदेश के वैक्सीन मॉडल को लेकर जानकारी मांगी गई। अन्य राज्य लगातार ये जानकारी मांगते रहे कि अभियान को कैसे इतने बड़े पैमाने पर चलाया गया।
ऐसे चला महाअभियान
16 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। पीएम से मुलाकात के बाद उन्होंने ऐलान किया कि एमपी में 21 जून को वैक्सीन महाअभियान चलाया जाएगा। वे तुरंत भोपाल लौटे और इसके लिए तैयारी शुरू कर दी। परिणाम यह हुआ कि मध्यप्रदेश का वैक्सीनेशन मॉडल देशभर में चर्चा का विषय भी बन गया।
वैक्सीनेशन के इस अभियान में कोविड टीकाकरण में नया रिकॉर्ड बनाया गया. इस टीकाकरण महा अभियान में महज चार दिनों में प्रदेश में 46 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया। 21 जून को सबसे ज्यादा 17.42 लाख टीके लगाए गए.इसी तरह 23 जून को 11.59 लाख और 24 जून को 7.33 लाख लोगों को टीका लगाया गया। प्रदेश में इसके लिए सात हजार केंद्रों पर 35 हजार कर्मचारी तैनात किए गये थे।
प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सीएम ने दिल्ली से ही फोन पर अधिकारियों को टीकाकरण महाअभियान के लिए प्लान तैयार करने का निर्देश दे दिया था। इसके बाद सीएम ने भोपाल पहुंचकर खुद मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने गृह मंत्रालय और सामान्य प्रशासन विभाग समेत सभी अहम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ स्वास्थ अधिकारियों की बैठक बुलाई और टीकाकरण का प्लान तैयार किया।
रुके नहीं हैं अनूठे कदम
”पहले वैक्सीन लगवाओ फिर खाना खाओ”
टीका लगाने के लिए प्रदेश में सख्ती के साथ ही कुछ अनूठे कदम भी उठाए गए हैं. रतलाम कलेक्टर की पहल पर शादी समारोह में खाने के स्टॉल के साथ एक और स्टॉल लगाया जा रहा है जहां वैक्सीनेशन किया जाता है. शादी में आने वाले लोगों में से जिसने वैक्सीन नहीं लगवाई है, उसे वहीं वैक्सीन लगा दी जाती है.