Dangerous virus: मक्खी और मच्छरों से कई तरह के रोग फैलते हैं, इसी में एक घातक बीमारी चांदीपुरा वायरस भी है। मध्यप्रदेश में चांदीपुरा वायरस का खतरा बढ़ता देख भोपाल जिला स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों व आमजन को सचेत करने के लिए एडवाइजरी जारी की है। अधिकारियों का कहना है कि इसका कोई तय इलाज नहीं है, मरीज को सपोर्टिव ट्रीटमेंट दिया जाता है। यानी लक्षणों के हिसाब से इलाज होता है। ऐसे में इससे बचाव ही बेहतर उपाय है। डॉक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि लक्षण दिखने पर मरीज की जांच जरूर कराई जाए।
15 साल से छोटे बच्चों को ज्यादा खतरा
सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी के अनुसार यह वायरस मच्छरों व मक्खी से फैलता है। इसका सबसे अधिक खतरा 15 साल से छोटे बच्चों में देखने को मिल रहा है। जो मरीज इस वायरस की चपेट में आते हैं उनमें शुरूआत में फ्लू जैसे लक्षण दिख रहे हैं। यही कारण है कि ऐसे हर मरीज की जांच जरूरी है। अगर इसके लक्षणों की बात की जाए तो बुखार, मस्तिष्क में सूजन, उल्टी दस्त, सिरदर्द और सुस्ती, मानसिक स्थिति में बदलाव आना है।
जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार देश में चांदीपुरा वायरस के अब तक 148 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें पड़ोसी राज्य गुजरात से लगभग सौ, मध्यप्रदेश से चार, राजस्थान से तीन समेत महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में भी इसके केस देखे गए। जिसमें से लगभग 40 फीसदी संक्रमितों की मौत हो गई।
क्या है चांदीपुरा वायरस ?
चांदीपुरा वायरस एक तरह का सिंड्रोम है। जो विभिन्न वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाइरो केट्स, रसायन से तंत्रिका तंत्र में उत्पन्न होता है। इस वायरस के लक्षण फ्लू और एक्यूट एंसेफ्लाइटिस जैसे ही होते हैं। मानसून में यह ज्यादा एक्टिव होता है। सबसे पहले 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में पाया गया था।