भाजपा विधानसभा Vidhansabha election के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर भी दम-खम से मैदान में काम कर रही है। पार्टी लोकसभा के बहाने विधानसभा को भी साधने की कोशिश कर रही है। सभी बड़े नेता मैदान में उतार दिए हैं। केंद्रीय संगठन का विशेष संपर्क अभियान चल रहा है, इसके तहत 16 केंद्रीय मंत्री मप्र आने वाले हैं। एक दर्जन केंद्रीय और नेता प्रदेश में दौरे कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा भी दोनों चुनावों का रोडमैप बनाकर मैदान में उतरे हैं। इधर सीएम शिवराज सिंह चौहान का पूरा फोकस फिलहाल विधानसभा पर है।
भाजपा ने लोकसभा की पूरी 29 सीटों पर फोकस किया है। अभी 28 सीटें भाजपा के पास है। केवल छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस से नकुलनाथ हैं। भाजपा हर हाल में इस बार छिंदवाड़ा सीट भी जीतना चाहती है जिसके लिए सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां फोकस कर रखा है।
भाजपा का मानना है, विधानसभा Vidhansabha election के लिए काम करें या लोकसभा के लिए दोनों सूरत में दोनों चुनावों की तैयारी हो जाएगी। इसलिए भाजपा बूथ स्तर तक एक साथ काम कर रही है। इसमें अंतर सिर्फ ये है कि विधानसभा चुनाव के लिए समितियां बनाने की शुरूआत हो चुकी है। विधानसभा प्रभारी भी बना दिए गए हैं, जबकि लोकसभा के लिए अभी नेटवर्किंग, कैम्पेनिंग और वोटबैंक मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
इधर कांग्रेस में पूरा फोकस अभी विधानसभा चुनाव Vidhansabha election पर ही है। पार्टी नेताओं का मानना है कि विधानसभा जीते तो लोकसभा भी आसान हो जाएगी। यही कारण है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के दौरे भी होते हैं, तो भी उनमें विधानसभा चुनाव ही फोकस पर रहता है।
कांग्रेस की रणनीति से अभी लोकसभा चुनाव से दूर है। पिछले लोकसभा चुनाव में जो प्रत्याशी लड़े, वो हाशिये पर हैं या दूर हैं। राजगढ़ से चुनाव लड़ चुकीं मोना सुस्तानी तो भाजपा में जा चुकी है। सिंधिया भी भाजपा में हैं।
कांग्रेस की रणनीति विधानसभा चुनाव पर केंद्रित है। इसमें भी दल बदलकर सत्ता गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया से बदले की सियासत को महत्व दिया गया है। सिंधिया को घेरने ग्वालियर-चंबल, मालवांचल पर फोकस किया जा रहा है। आगे लोकसभा में भी गुना सीट पर रणनीति अहम रहेगी।