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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
राजधानी भोपाल के निजी अस्पताल में न्यूरोलाजिस्ट ( neurologist ) डॉ.अभय गर्ग ने न्यूरोसाइंस का हवाला देते हुए बताया कि, इंसान के दिमाग ( mind ) में एक न्यूरो सर्किट होता है, जो हमारे ज़हन में मौजूद उन बातों या यादों को स्टोर करके रखता है, जिनका जुड़ाव हमारे जीवन से जुड़ा रहता है। यानी आप किसी बात या चीज़ को जितनी बार अपने ज़हन में लाएंगे वो चीज़ या याद उतनी ही आपके दिमाग में मजबूत होगी। लेकिन, अगर आप किसी जानकारी को लंबे समय तक याद नहीं करते तो आप उसे भूलने लगते हैं। डॉ. गर्ग ने बताया कि, इसे न्यूरोसाइंस में सिनैप्टिक प्रूनिंग ( Synaptic Pruning ) के नाम से जाना जाता है, जो आपके दिमाग में कम इस्तेमाल होने वाली बातों की छंटाई करके उसे समय के अनुसार अपडेट करता रहता है।
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इस तरह समझें
उदाहरण के तौर पर अगर हम मान लें कि, हमारा दिमाग एक बगीचे की तरह है। जिस तरह माली बगीचे में फल, फूल और अपनी पसंद की अन्य चीजें समय समय पर बोता है। साथ ही, ज़रूरत और खूबसूरती के लिए उनकी देखभाल करता है और उन चीजों को हटाता चलता है, जिसका इस्तेमाल या साज सज्जा से बाग को कोई लाभ नहीं रहता, ठीक उसी तरह न्यूरो सर्किट में इससे संबंधित दो तरह की कोशिकाएं होती हैं। पहला ग्लियल कोशिका, जो नई सूचनाओं और दृश्यों कोन्यूरॉन्स में सिग्रल भेजकर सक्रिय रखता है। इससे वो सूचना या दृश्य हमारी मेमोरी में स्टोर रहता है। वहीं, माइक्रोग्लियल कोशिकाएं मस्तिष्क में मौजूद पुरानी बातों को (दिमागी कचरे) डिलीट करती चलती है। इसे ही न्यूरोसाइंस में सिनैप्टिकल प्रूनिंग कहा जाता है। ऐसा होने पर वह बात लाख कोशिश के बावजूद भी याद नहीं आती। इसका बड़ा फायदा ये है कि, जब आप पुरानी यादों या बातों को भूलते हैं, तभी आप नई चीजों को सीखकर भविष्य की ओर बढ़ पाते हैं।
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ऐसे होती है छंटनी
जिन सिनैप्टिक कनेक्शन का उपयोग कम होता है, वे दिमाग में न्यूरोंस सिग्नल के कारण चिह्नित होते रहते हैं और प्रोटीन के साथ बंध जाते हैं। जब माइक्रोग्लियल कोशिकाएं उसका पता लगा लेती हैं तो वे प्रोटीन के साथ उसे भी नष्ट कर देती हैं। इस प्रकार से छंटनी या डिलीट प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन में हमेशा चलती रहती है।