एनजीटी ने वर्ष 2015 में पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी. पांडेय की याचिका पर कलियासोत नदी के दोनों किनारों से 33 मीटर दायरे को ग्रीन बेल्ट बताया और निर्माण तोडऩे का आदेश दिया। जिला प्रशासन ने कलियासोत नदी के किनारे से 33 मीटर में सीमांकन कर दायरे में आने वाले निर्माणों को चिह्नित किया। बाद में रहवासियों के विरोध के बाद एनजीटी ने इन्हें सुनवाई का अवसर दिया। नगर निगम ने रहवासियों की बात सुनी। यह प्रक्रिया होने के बाद से अभी तक नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
खानूगांव और कोहेफिजा में कई बड़े निर्माण तो बैरागढ़, लालघाटी तक मैरिज गार्डन बड़े तालाब में हैं। भदभदा वन विहार रोड पर कई होटल्स ने तालाब सीमा के अंदर निर्माण किए हैं। वीआईपी रोड किनारे रिटेनिंग वॉल जस की तस है। चार साल में तालाब के एफटीएल में 137 पक्के निर्माण हैं। भदभदा डैम के पास नेहरू नगर की ओर 400 मकानों की कॉलोनी तालाब के अंदर बस गई। बोट क्लब पर तालाब में ओपन थियेटर बना दिया। सेवानियंा गौड़ की ओर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए एफटीएल में सीमेंट-कॉन्क्रीट के पिलर खड़े कर दिए गए। बैरागढ़ सर्किल में एफटीएल के 50 मीटर के दायरे में सबसे ज्यादा कब्जे खानूगांव, बेहटा, बोरवन, संजय नगर, भैंसाखेड़ी, लाउखेड़ी एवं आसपास के क्षेत्रों में हुए हैं। ये कब्जे फेंसिंग की आड़ में किए गए।
तालाब की जल संग्रहण क्षमता पर असर
कई अफसरों-रसूखदारों के फार्म हाउस और कॉलेजों की बाउंड्री कैचमेंट में हैं। इन पर कभी कार्रवाई नहीं की गई। वर्ष 2016 में सिर्फ नपती की गई थी। खानूगांव में रिटेनिंग वॉल के कारण बैरागढ़, खानूगांव की तरफ जल संग्रहण क्षमता कम हुई है। टीटी नगर सर्किल के बम्होरी और सेवनियां गौड़ में बड़े तालाब के 50 मीटर दायरे में अतिक्रमणों की भरमार है। गौरा गांव, बिसनखेड़ी में बारिश के दौरान मुनारों से कई मीटर आगे तक पानी पहुंचा था।
आलोक शर्मा, महापौर
तालाब किनारे अतिक्रमण और अवैध निर्माणों पर हमारी निगाह है। जिला प्रशासन से जानकारियां साझा करते हैं और समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।
पवन कुमार सिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम