scriptबड़ा झटका: भोपाल-इंदौर में नहीं चल सकेगी मेट्रो, PM मोदी इसलिए हैं नाराज | Bhopal metro train delay | Patrika News
भोपाल

बड़ा झटका: भोपाल-इंदौर में नहीं चल सकेगी मेट्रो, PM मोदी इसलिए हैं नाराज

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की आपत्ति के बाद मेट्रो प्रोजेक्ट को संशोधन के लिए वापस मध्यप्रदेश भेजने का फैसला किया गया है।

भोपालSep 29, 2016 / 10:07 am

Anwar Khan

Metro

Metro

भोपाल। आखिर जिसका डर था, उसी दिशा में आशंका आगे बढ़ गई है। मध्यप्रदेश सरकार की कमजोर नीतियों और अफसरों की तिकड़मबाजी के चक्कर में भोपाल-इंदौर में मेट्रो ट्रेन का सपना फिलहाल टूट रहा है। खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और वहां की अफसरशाही के मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर अपनाए गए रवैये से खासी नाराज है और इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से मदद देने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि यदि मध्यप्रदेश सरकार मेट्रो ट्रेन चलाना चाहती है तो अपनी जेब से पैसा खर्च करे। आइए हम बताते हैं आखिर मेट्रो प्रोजेक्ट क्यों अटक रहा है…




प्रोजेक्ट इसलिए अटक रहा
हिसाब-किताब की पटरी पर भोपाल और इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट कुछ लडख़ड़ाया है। केंद्र सरकार को मेट्रो परियोजना के लिए फंड जुटाने के मसौदे पर आपत्ति है। शहरी विकास मंत्रालय चाहता है कि जायका से सिर्फ 50 फीसदी कर्ज लिया जाए, साथ ही राज्य सरकार अपनी हिस्सेदारी के लिए कर्ज लेने के बजाय खुद रकम का इंतजाम करे। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की आपत्ति के बाद मेट्रो प्रोजेक्ट को संशोधन के लिए वापस मध्यप्रदेश भेजने का फैसला किया गया है। ऐसे में राज्य सरकार को नए सिरे से मसौदा बनाना होगा।




जिम्मेदारी से परहेज
मेट्रो प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य सरकार अपने खजाने से एक भी पैसा लगाने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार 20 फीसदी रकम का इंतजाम तो कर देगा, लेकिन शेष 80 फीसदी रकम केंद्र सरकार की गारंटर बनने के बाद ही जाइका से मिलेगी। केंद्र का कहना है कि ऐसे में 100 फीसदी रकम की जिम्मेदारी सिर्फ केंद्र सरकार की होगी, जोकि राज्य-केंद्र के वित्तीय समीकरणों के खिलाफ है।




खाली खजाने से दिक्कत
2007 में तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने भोपाल-इंदौर में मेट्रो का ऐलान किया था। पहले दिल्ली मेट्रो कारपोरेशन से डीपीआर बनवाई गई। फिर उसे रद्द करके जायका कंपनी को काम दिया गया। सरकार ने वर्ष-2018 में मेट्रो चलाने का ऐलान किया, फिर विधानसभा में जब पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर ने मेट्रो की धीमी रफ्तार पर सरकार को घेरा तो नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह ने वर्ष-2022 में मेट्रो चलाने का लक्ष्य बताया। जापान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने जाइका को भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज 0.3 प्रतिशत की ब्याज दर पर देने तैयार किया था। 


मेट्रो रेल कार्पोरेशन के एमडी गुलशन बामरा के तबादले के बाद आईएएस विवेक अग्रवाल एमडी बने। पैसे बचाने के लिए प्रपोजल में संशोधन हुए और राज्य के 20 प्रतिशत अंशदान को जाइका के लोन में जोड़कर बाकी 20 प्रतिशत केंद्र सरकार से अनुदान के तौर पर मांगे गए। केंद्र सरकार से 80 प्रतिशत लोन में गारंटर बनने की मांग भी प्रपोजल में है।




इनका कहना है-
0 एमपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने अपने प्रपोजल में राज्य का शेयर नहीं बताया है। कर्ज की रकम में राज्य को हिस्सेदार नहीं मान सकते हैं। ऐसे में प्रस्ताव को नए सिरे से बनाकर देना होगा।
– अवनीश कुमार मिश्रा, डायरेक्टर, सेंट्रल इकोनॉमिक अफेयर्स विंग



इनका कहना है…
मेट्रो के लिए 60 प्रतिशत कर्ज, 20-20 प्रतिशत केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी है। हमने 80 प्रतिशत कर्ज लेने का प्रस्ताव दिया है। इसमें राज्य का हिस्सा भी शामिल है। केंद्र के एतराज की फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।
मलय श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, शहरी आवास एवं पर्यावरण विभाग, मप्र

Hindi News/ Bhopal / बड़ा झटका: भोपाल-इंदौर में नहीं चल सकेगी मेट्रो, PM मोदी इसलिए हैं नाराज

ट्रेंडिंग वीडियो