20 जनवरी से यहां शुरू होेगे कार्यक्रम
राम मंदिर नवनिर्माण, जीर्णेाद्धार एवं कलश स्थापना समारोह के तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ 20 जनवरी से 22 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। इस मंदिर को भोपाल की अयोध्या राम मंदिर आनंद नगर दिया गया है। शहर का यह प्राचीन मंदिर है। मंदिर समिति के अध्यक्ष रमेश यादव ने बताया कि 1961 में यहां हनुमान की प्राचीन मढिय़ा थी, जहां दो तीन साल बाद राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके बाद इस मंदिर को राम मंदिर के नाम से पहचान मिली। वर्ष 2019 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू किया गया और पिछले माह ही यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ है।
भोपाल के राम मंदिर की खासियत
151 फीट शिखर सहित ऊंचाई ढाई करोड़ से जीर्णेाद्धार साढ़े चार साल में बनकर हुआ तैयार, 11 कलश लगभग एक एकड़ का परिसर 5400 वर्गफीट में बना है मंदिर
अयोध्या से मिट्टी और ईंट लेकर आए थे
मंदिर का जीर्णोद्धार 2019 में शुरू किया था। समिति के संगठन मंत्री यशवंत सिंह मेहर ने बताया कि 2021 में समिति के सदस्य अयोध्या की कार्यशाला से रामशिला व मिट्टी लेकर आए थे। मंदिर निर्माण के दौरान अयोध्या की मिट्टी को मंदिर की नींव में डाला था, जबकि रामशिला को शिखर के बीच में लगाया है मंदिर का निर्माण पूर्ण हो गया है,लेकिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ इसका लोकार्पण किया जा रहा है।
नगर का भ्रमण करेंगे रामलला
मंदिर के जीर्णोद्धार और कलश स्थापना दिवस के तीन दिवसीय समारोह की शुरुआत 20 जनवरी को होगी। इस मौके पर अखंड रामायण पाठ और भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। 21 जनवरी को कलश शोभायात्रा जंबूरी मैदान से निकाली जाएगी। इस कलश यात्रा में भगवान राम के बाल स्वरूप रामलला की प्रतिमा खास आकर्षण का केंद्र होगी। इसी प्रकार 22 जनवरी को विधि विधान के साथ मंदिर में 11 शिखर की स्थापना की जाएगी। लोकार्पण समारोह के 20 हजार आमंत्रण कार्ड राम मंदिर में होने वाले ३ दिवसीय समारोह के 20 हजार आमंत्रण कार्ड शहर सहित कई स्थानों पर वितरित किए हैं। कार्ड में मंदिर के बारे में जानकारी है। साथ ही कैलेंडर भी इस पर अंकित है।
अयोध्या की तर्ज पर शहर से करीब 10 से 12 किलोमीटर दूर सिंदौड़ा गांव में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। जहां भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इस मंदिर की खास बात यह है कि जिस दिन अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन हुआ था, उसी दिन यहां के मंदिर का भी भूमिपूजन हुआ। यहां के राम मंदिर में भी 5 गुम्बद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि राम मंदिर के लिए न जाने कितने लोगों ने जान गंवाई, कितने केस चले, करीब 500 साल संघर्ष के बाद अब खुशी आई है। मंदिर में लगने वाली सामग्री जैसे पीतल के कलश, घंटा ध्वज आदि रतलाम से मंगवाई गई हैं।
रामनवमी पर होगी प्राण-प्रतिष्ठा
ग्रामीणों ने बताया कि राम मंदिर बनाने के लिए प्रति बीघा के हिसाब से एक घर से 4200 रुपए का चंदा लिया गया है। इसके अलावा जिनके पास जमीन नहीं है, उन्होंने अपनी इच्छा के अनुसार किसी ने 11 तो किसी ने 21 व 51 हजार भी दिए हैं। करीब 1.50 करोड़ की लागत से निर्माण हो रहा है। अभी तक 80 से 90 लाख रुपए लग गए हैं। मार्बल, रेलिंग, लाइट सहित कुछ काम बचा है, जो दो महीने में पूरा हो जाएगा। रामनवमी पर प्राण प्रतिष्ठा होगी।
इंजीनियर ललित सोमपुरा ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तीन टीम का गठन किया। पहली टीम डिजाइन के बाद साइज के हिसाब से पत्थर को काटने का काम, दूसरी टीम गढ़ाई तो तीसरी टीम पत्थर को असेंबल करती थी। कुल मिलाकर 100 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे। जमीन का पहले ले आउट कर 18 फीट नीचे तक खुदाई की। ब्लैक पहाड़ी स्टोन से भरा गया। जमीन से 4 फीट ऊपर लेवल किया।
राम मंदिर 3200 वर्गफीट में फैला हुआ है। मंदिर में लगने वाली मूर्तियों का ऑर्डर कर दिया है। करीब 33 इंच की एक मूर्ति है। ऐसी 6 मूर्तियां राजस्थान से आएंगी, जिसमें राम-लक्ष्मण, सीता, हनुमान और मां लक्ष्मी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इनको मंगाने में 3 लाख का खर्च आया है। उत्तर भारत की नागर शैली व वास्तु, शिल्प और ज्योतिष के हिसाब से मंदिर का निर्माण किया है। पुराने समय की तरह पत्थर पर लॉकिंग सिस्टम होता था, उसी तरह इसे बनाया है।
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