अपने बालों की कुर्बानी देेने वाली महिलाओं का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जल्दी ही हमारी मांगों को पूरा करना होगा, हमारा नियमित्तिकरण करना होगा। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो अगली बार उनकी सरकार नहीं बन पाएगी। बाल कुर्बान करने वाली एक महिला ने कहा कि मेरे बाल मेेरे शरीर का गहना है। अपने सभी भाईयों और बहनों के लिए मैं अपने बाल कुर्बान कर रही हूं। इसके बाद भी अगर हमारी मांगे पूरी नहीं होती है तो अब हम उन्हें वोट नहीं देंगे। हम वोट उसी को देंगे, जो हमारी मांगों को पूरा करेगा।
आखिरी चेतावनी
आंदोलन के दौरान अतिथि शिक्षकों ने सरकार को अंतिम चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर इस बार सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम अमरण अंनशन करेंगे। अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए हमें जो उचित लगेगा हम वह कार्य करेंगे।
महिलाओं ने कहा कि अगर कोई हमारी बात नहीं सुनेगा तो अगली बार चुनाव में हम अपना कोई उम्मीदवार खड़ा कर देंगे। उनका कहना था कि अगर हम भूखे प्यासे रह कर अपना गुजारा कर सकते है तो क्या हम हजार हजार रूपये देकर चुनाव प्रसार नहीं कर सकते।
इससे पहले पिछले जून महीने में अतिथि शिक्षकों ने अंबेडकर मैदान में बड़ा आंदोलन किया था। जिसमें कई शिक्षकों ने सरकार के विरोध में मुंडन कराया था। मांगे नहीं पूरे होने पर सुसाइड के प्रयास की धमकी देते हुए स्वयंभू नेता शंभूचरण दुबे पानी की टंकी पर चढ गए थे।
अतिथि शिक्षकों की प्रमुख मांग
अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शम्भुचरण दुबे और मनोज मिश्रा के नेतृत्व में मप्र के अतिथि शिक्षक 25 और 26 जुलाई को भोपाल के शाहजनी पार्क में करेंगे। इस दौरान अतिथि शिक्षक अपनी प्रमुख मांग रखेंगे। जिसमें वर्तमान सत्र में पुराने अतिथि शिक्षकों को रखने और अन्य राज्यों की तरह नियमित किरने की मांग की जाएगी।
जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा ने बताया कि पिछले साल 21 जनवरी को शाहजनी पार्क में शिक्षंत्री पारस जैन ने एक घोषण की थी जिसमें उन्हेंने कहा कि एक कमेटी बनाकर तीन माह में नियमितिकरण किया जाएगा जो कि सरकार ने आज तक अपना वादा नहीं निभया है। उन्होंने जिले के सभी अतिथि शिक्षकों से उक्त आंदोलन में भाग लेने की अपील की।
सरकार के पास नहीं विकल्प
इसके पहले सरकार द्वारा भर्ती में 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाने की घोषणा की गई है। वहीँ अतिथि शिक्षकों द्वारा इसे ठुकराया जा रहा है। क्योंकि वे चाहते है उन्हें 100 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। सरकार अगर ऐसा करती है तो नए युवाओं को भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलेगा। फिर बेरोजगारी में सरकारी नौकरी का इन्तजार कर रहे युवा सड़कों पर उतर जायेंगे। सरकार के अनुसार यह 25 प्रतिशत आरक्षण का फैसला भी अनुभव के आधार पर है।