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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : जब भारत के प्रधानमंत्री ने दहेज में मांग लिया था ‘पाकिस्तान’, किया गया पुण्य स्मरण

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर एमपी नगर स्थित उनकी मूर्ति पर सीएम डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा समेत कई नेता पहुंचे और माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।

भोपालAug 16, 2024 / 01:27 pm

Faiz

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल एमपी नगर में स्थित उनकी मूर्ति पर एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा समेत कई नेताओं ने पहुंचकर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए अपने अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि, ‘अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व सबसे अलग था। आरएसएस के प्रचारक से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की। 5 प्रधानमंत्रियों के सामने वो विपक्ष के नेता रहे, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। विपक्ष में रहते हुए कभी सत्ता की चाह नहीं रखी। संयुक्त राष्ट्र संघ में 2 बार उन्होंने भारत का पक्ष रखा और अपने वक्तव्य से दुश्मनों को चेताया भी। हम उन खुशनसीब लोगों में से हैं, जिन्होंने अटल के साथ काम किया करते हुए उनकी सरकार भी देखी।’ सीएम ने आगे कहा कि ‘अटल बिहारी आज जहां भी हैं, वहां से वो सबको आशीर्वाद दे रहे होंगे।’

सीएम ने किया (X) ट्वीट

इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि, ‘आज अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है। उन्होंने जनसंघ से लेकर बीजेपी को खड़ा किया। सबसे अधिक सर्वमान्य नेता कोई था तो वो अटल जी थे। वो बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उनके कुशल नेतृत्व का नतीजा ही है कि आज हम सब यहां हैं। उन्होंने जो राह हमें दिखाई, हम उसे लेकर आगे बढ़ रहे हैं।’

हाजिर जवाबी के लिए मशहूर थे अटल जी

आपको बता दें कि, अटलजी एक ऐसे भारत रत्न थे जो प्रखर वक्ता के रूप में खासा चर्चित थे। उनके कई राजनीतिक किस्से मशहूर हैं। उन्होंने अपनी हाजिर जवाबी के दम पर भी देश की साख बढ़ाने का खासा कार्य किया था। एक बार का किस्सा भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में खासा सुर्खियों में रहा। ये उस समय की बात है जब अटलजी के पाकिस्तान दौरे पर थे।
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बस में सवार होकर पहुंचे थे पाकिस्तान

पाकिस्तान दौरे के दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच एक महिला जर्नलिस्ट ने अटल बिहारी वाजपेयी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया था। बात 16 मार्च 1999 की है, जब पीएम रहते हुए वाजपेयीजी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी। दोनों देशों के मध्य अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की गई थी। इस दौरान अनुमान लगाया जा रहा था कि भारत का प्रधानमंत्री हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर में सवार होकर पाकिस्तान आएगा, लेकिन पाकिस्तान के लोग उस समय अचंभित रह गए कि भारत का प्रधानमंत्री खुद भी उसी बस में बैठकर लाहौर पहुंचा था, जिसे उसने भारत-पाक के मधुर संबंध के लिए शुरु किया था।

जब पाकिस्तान में अटल जी का हुआ जोरदार स्वागत

पूर्व प्रधानमंत्री का ये अंदाज पाकिस्तान को इतना भाया कि दोनों देशों में आजादी के बाद से चली आ रही तनातनी के बावजूद सबकुछ भूलते हुए उनका जोरदार स्वागत किया गया। जब वहां के गवर्नर हाउस में अटलजी मीडिया को संबोधित कर रहे थे, तभी वहां पाकिस्तान की एक महिला जर्नलिस्ट बीच में उठकर खड़ी हुई। कुछ पल के लिए तो अटल जी को लगा कि शायद उसे कोई सवाल करना होगा, लेकिन महिला पत्रकार ने जो कहा, उससे कुछ पल के लिए गवर्नर हाउस में सन्नाटा सा छा गया।

दहेज में मांग लिया था ‘पूरा पाकिस्तान’

महिला जर्नलिस्ट ने अटल बिहारी वाजपेयी से सवाल कर दिया कि ‘आखिर उन्होंने अब तक शादी क्यों नहीं की।’ महिला ने आगे उनसे कहा ‘मैं आपसे शादी करना चाहती हूं, लेकिन एक शर्त है कि आप मुंह दिखाई में मुझे कश्मीर दे देंगे। इसके बाद अटलजी को भी हंसी आ गई। बेबाकी और हाजिर जवाबी के लिए मशहूर अटलजी ने भी तपाक से जवाब दे डाला कि ‘मैं भी आपसे शादी करने को तैयार हूं, लेकिन मेरी भी एक शर्त है। मुझे दहेज में ‘पूरा पाकिस्तान’ चाहिए। अटलजी के इस हाजिर जवाबी से महिला जर्नलिस्ट के सवाल का उसी की जुबान में जवाब दिया, बल्कि इस जवाब के बाद पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। ये किस्सा पूरी दुनिया की चर्चा का विषय बन गया, जिसे आज भी दोनों देशों के लोग याद करते हैं।
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शादी से ज्यादा जरूरी समाचार-पत्र

अटलजी भी एक बहुत अच्छे जर्नलिस्ट थे। अटलजी स्वदेश अखबार में लखनऊ के संपादक भी हुआ करते थे। उन्हीं दिनों में कानपुर में उनकी बहन का विवाह होने वाला था। तैयारी चल रही थी। तभी नानाजी देशमुख अटलजी ने अटलजी से कहा था कि तुम्हारी बहन की शादी है और तुम यहां हो, जरूर आइएगा। अटलजी ने कहा कि विवाह से ज्यादा जरूरी तो समाचार पत्र है। शादी तो मेरे बगैर जाए भी हो जाएगी।
इसके बाद नानाजी देशमुख चुपचाप कानपुर चले गए। वहां पहले से मौजूद दीनदयाल उपाध्याय को यह बात कही। यह बात सुनकर उपाध्याय तुरंत कार मेंबैठे और लखनऊ पहुंच गए और अटलजी से बोले- यह जो गाड़ी खड़ी है, उसमें तत्काल बैठ जाओ। अटलजी ने पूछा कि क्या हुआ, तो उपाध्याय बोले- जाओ बहन के विवाह कार्यक्रम में पहुंचे और मुझे कोई तर्क मत देना। इसके बाद अटलजी अपनी बहन की शादी में पहुंच गए थे।
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हार के बावजूद देखने पहुंच गए फिल्म

अटल बिहारीजी को मूवी देखने का बहुत शौक था। एक बार दिल्ली में उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। लालकृष्ण आडवाणी इस हार से विचलित थे। अटलजी भी शांत बैठे थे। अचानक अटलजी उठे और आडवाणीजी से बोले, चलों फिल्म देखने चलते है। इस पर आडवाणी ने कहा कि यहां पार्टी की हार हो गई और आप फिल्म देखने को कह रहे हैं। अटलजी बोले हार-जीत तो चलती रहती है, हार को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। इसके बाद दोनों फिल्म देखने गए और दिल्ली के पहाड़गंज स्थित एक थिएटर में राजकपूर की फिल्म देखी।

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