script12 साल के बच्चे को मिला इंसाफ, ट्रेन की चपेट में आकर कट गया था पैर | A big decision taken in the history of Judiciary | Patrika News
भोपाल

12 साल के बच्चे को मिला इंसाफ, ट्रेन की चपेट में आकर कट गया था पैर

आखिरकार सात साल बाद क्लेम ट्रिब्यूनल के जज ने जब इस मामले में जो फैसला सुनाया वो वाकई न्यायपालिका के इतिहास में एक अलग तरह का फैसला रहा।

भोपालJun 22, 2016 / 07:48 pm

Alka Jaiswal

railway

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भोपाल। वर्ष 2009 में राजकोट एक्सप्रेस में रतलाम से होशंगाबाद जाते समय 12 साल का नाबालिग जनरल कोच में झटका लगने से ट्रेन की चपेट में आ गया। उसकी जान तो बचा ली गई लेकिन बायां पैर घुटने के नीचे से और दाएं पैर की एड़ी कट गई।

रेलवे की गलती से हुए हादसे के चलते नाबालिग के परिजनों ने हर्जाना लेने के लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) में दावा पेश किया। वकील एके मिश्रा ने दावा आवेदन बनाकर आरसीटी में पेश किया। उसमें काफी गलतियां थी। यहां तक कि नाबालिग आवेदक का नाम तक गलत लिखा था। मामले की सुनवाई हुई तो इन्हीं गलतियों को फायदा उठा कर रेलवे के वकील इसे खुद की गलती से हुआ एक्सीडेंट साबित करने लगे। आखिरकार सात साल बाद क्लेम ट्रिब्यूनल के जज ने जब इस मामले में जो फैसला सुनाया वो वाकई न्यायपालिका के इतिहास में एक अलग तरह का फैसला रहा।


ब्याज समेत राशि चुकाने के दिए निर्देश
आरसीटी के ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख और टेक्निकल मेंबर रश्मि कपूर की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ‘आवेदक के वकील की गलतियों से यह साफ है कि दावा आवेदन संपूर्ण जानकारी से नहीं बनाया गया है लेकिन यह दावा आवेदन रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल एक्ट-1987 के तहत किया गया है, जो कि यह एक लेजिसलेटिव वेलफेयर एक्ट है ऐसे में आवेदक के वकील की गलतियों के कारण सही दावे में आवेदक के हित को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।


खासतौर पर जब आवेदक नाबालिग हो। ऐसे में रेलवे द्वारा आवेदक को 3 लाख 30 हजार रुपए हर्जाना और छह प्रतिशत वार्षिक दर से छह साल का ब्याज चुकाने का आदेश दिया गया है।

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