शहर में सभी एजेंसियों की मिलाकर 4711.2 किमी लंबाई की सड़कें हैं। पुराने शहर की भोपाल टॉकीज रोड, करोद, शाहपुरा, चुनाभट्टी रोड, कोलार रोड, हमीदिया रोड की स्थिति बेहद खराब हो गई है। ये स्थिति तब है जब इनके रेनोवेशन और मेंटेनेंस पर एक साल में 87 करोड़ 96 लाख रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। बीते साल ही पीडब्ल्यूडी ने इनके लिए 54 करोड़ 64 लाख रुपए शासन से अतिरिक्त मांगे थे।
सड़क निर्माण के लिए अब चार एजेंसियां काम करती हैं। इनमें नगर निगम, पीडब्ल्यूडी प्रमुख हैं। सीपीए अब पीडब्ल्यूडी का ही हिस्सा बन गई है। इनके अलावा एमपीआरडीसी है। बीडीए अपने क्षेत्र की सड़कें देखता है। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी सड़कों के लिए सालाना 50 करोड़ रुपए का बजट तय करती है।
दो माह भी नहीं चली सड़कें, दिक्कत में जनता
शहर की सड़कों के सुधार के नाम पर अप्रेल-मई में ही काम किया गया था। उस समय दावा था कि शहर की करीब 400 किमी लंबाई की सड़कें अब दुरूस्त कर दी गई हैं और बारिश में दिक्कत नहीं आएगी। जून में बारिश शुरू होते ही सड़कें टूटना शुरू हो गईं। जुलाई में अब 50 फीसदी सड़कें गड्ढे में बदल गईं। इनमें से 90 फीसदी सड़कें पाइप लाइन के लिए खोदी गईं सड़कें हैं, जिनका रेस्टोरेशन ठीक नहीं हुआ। कोलार, मिसरोद, रोहितनगर, बावडिय़ा कला, कटारा, शाहपुरा, चूनाभट्टी, देवी अहिल्यादेवी तिराहा, गुलमोहर, त्रिलंगा से जुड़ी सड़कें ज्यादा हैं।
बावडिय़ाकला, गुलमोहर, कोलार क्षेत्र को नर्मदापुरम रोड से जोडऩे पीडब्ल्यूडी की तरफ से 40 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए बावडिय़ा ब्रिज में लोहे के सरिए निकल आए हैं। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि फरवरी 2020 में ही इसका लोकार्पण हुआ है। यानि दो साल में ही ये ब्रिज दरकने लगा है। इससे पता चलता है कि पीडब्ल्यूडी की निर्माण गुणवत्ता कितना घटिया है।
शहर में केंद्र की मद से ब्रिज, अमृत प्रोजेक्ट के तहत अंदरूनी सड़कें, रेस्टोरेशन के काम हुए। इसके साथ ही राज्य की सीएम इंफ्रा के नाम पर सड़कों को निर्माण हुआ। अमृत, ब्रिज मद के साथ सीएम इंफ्रा की सड़कों का रखरखाव करने 30 करोड़ रुपए कंसलटेंट को दिए जा रहे हैं। बावजूद इसके निर्माण और रेस्टोरेशन में गड़बड़ी है।
– केवीएस चौधरी, निगमायुक्त