बुधवार से प्रदेशभर में सरकारी चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। ऐसे में जिला अस्पतालों में इंटर्न के अलावा कोई अन्य व्यवस्थाएं नहीं नजर आ रही हैं। गंभीर मरीजों को कहां कैसे शिफ्ट किया जाएगा, अभी तक यह प्लान न तो प्रशासन के पास है और न ही अस्पतालों के अधीक्षक व डीन के पास। हालांकि निजी मेडिकल कॉलेजों से आपातकाल में तैयार रहने को कहा है। उनसे उपलब्ध बेड और डॉक्टरों की जानकारी मांगी है।
इससे पहले प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मंगलवार सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक भी हड़ताल पर रहे। दो घंटे की हड़ताल से ही अस्पतालों में मरीज इलाज के लिए परेशान होते नजर आए। मध्यप्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि प्रदेश के 16 हजार डॉक्टर एक साथ खड़े हैं। उनकी मांग है कि समयबद्ध पदोन्नति और मेडिकल से जुड़े कार्यों में प्रशासनिक दखल को खत्म किया जाए।
चिकित्सा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और भोपाल गैस त्रासदी राहत व पुनर्वास विभाग के डॉक्टरों ने मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले हड़ताल की शुरुआत की है। बुधवार से मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है।
यह है प्रमुख मांग
डॉक्टर्स की पदोन्नति, वेतन बढ़ोत्तरी आदि के लिए डीएसीपी पालिसी बनाई गई है। 2008 के बाद देश के कई राज्यों में इसे लागू किया जा चुका है पर एमपी में इसे लागू नहीं किया जा रहा है। इससे प्रदेशभर के चिकित्सक असंतुष्ट हैं।