योजना के तहत 162 वर्गमीटर के आवास के लिए आवेदन करने वाले आवेदक आशंकित बने हुए हैं। क्योंकि उन्होंने जो सात लाख की राशि जमा कराई है उसे ढाई महीने हो चुके हैं। उन्होंने लाखों रुपए की राशि इंतजाम कर जमा कराई, अब आरएचबी आवेदन की तिथि बार-बार बढ़ाती जा रही है। अगर लॉटरी में आवंटन हो जाता है तो उनकी राशि पर ब्याज सहित समायोजन हो जाएगा लेकिन जिन्हें आवंटन नहीं होगा, उन्हें हर तरफ से नुकसान ही होगा। जिन्हें आवंटन नहीं होगा उनकी सिर्फ मूल पंजीकरण राशि ही वापस होगी, जीएसटी, प्रोसेसिंग फीस व अन्य शुल्क वापस नहीं होंगे। 162 वर्गमीटर में करीब सात लाख रुपए जमा हुए हैं। जिनका आवंटन नहीं होगा उन्हें सिर्फ 5.90 लाख रुपए वापस होंगे। इस तरह लंबे समय तक अटकाने की वजह से, आवंटन नहीं होने पर सात लाख की राशि पर ब्याज का नुकसान होगा, साथ ही 1.10 लाख रुपए कट जाएंगे।
इस तरह बढ़ाई तिथि
योजना के तहत शुरुआत में 15 मार्च से 15 अप्रेल तक आवेदन मांगे गए।
पहली बार में आवेदन पूरे नहीं हुए तो दूसरी बार 15 अप्रेल से 15 मई तक तिथि बढ़ाई गई। तीसरी बार 15 मई से 15 जून कर दिया। अब 15 जून से 15 जुलाई तक आवेदन भरने की तिथि बढ़ा दी गई है। इस तरह आवेदन करने के लिए शुरुआत में जो अवधि तय की गई, उसके बाद तीन बार आवेदन तिथि को बढ़ाया गया है। 162 मीटर के आवासों के लिए 10 आवेदन आ चुके हैं, इसके बाद भी आरएचबी आवेदकों को इंतजार करा रहा है। अब आवेदकों का कहना है कि आरएचबी की इस नीति से उनका विश्वास उठ रहा है। उन्होंने 15 अप्रेल को ध्यान में रखते हुए राशि को आनन-फानन में जमा कराया। अगर उन्हें पता होता कि मंडल बार-बार ऐसा रुख अपनाएगा तो वह भी बाद में जमा करते। जिन आवेदकों ने पहली तिथि को ध्यान में रखकर फॉर्म जमा किए, उनके साथ एक तरह से धोखा किया जा रहा है।
योजना के तहत आवेदन करने और तिथि बढ़ाने का निर्णय मुख्यालय से लिया जाता है। आवेदकों के लाखों रुपए जमा करने और उनके नुकसान के बारे में उच्च स्तर ही फैसला लिया जा सकता है। पीएल मीणा, उप आवासन आयुक्त