जिला अस्पताल में वर्तमान में 370 पलंगों की व्यवस्था है लेकिन जिस प्रकार प्रतिदिन ओपीडी में मरीजों की संख्या बढक़र 1600 से पार निकल गई है और 2021 तक यह संख्या दो हजार से ऊपर पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। ओपीडी में निरंतर बढ़ती मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला अस्पताल के विस्तार की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। प्रसूति विभाग में आने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या को देखते हुए लेवररूम के तीन गुने विस्तार की जरूरत है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रूस्तमसिंह ने दो साल पहले विस्तरों की संख्या बढ़ाकर 500 करने की घोषणा की थी। मगर सरकार जाने के बाद यह कवायद भी ठंडे बस्ते में चली गई।
जिला अस्पताल कैंपस से लगती नैरोगेज रेलवे स्टेशन की 29 हेक्टेयर जमीन पड़ी हुई है। करीब डेढ़ दशक पहले ट्रेन आना बंद हो जाने के बाद यह जमीन अनुपयोगी पड़ी है। 10 फीसदी हिस्से पर तो स्थानीय लोगों ने ही कब्जा कर लिया है। मेडिकल कालेज के लिए इस जमीन को लेने के लिए ढाई साल पहले तत्कालीन कलेक्टर डा. इलैयाराजा की ओर से प्रयास किए गए थे। रेलवे से जमीन के बदले दूसरी जमीन देने की डिमांड रखी थी। दीनपुरा और डिडी के बीच प्रशासन ने जमीन देने की पेशकश की थी। मौका मुआयना के दौरान डीआरएम झंासी ने रोड से दूर होने के कारण प्रस्ताव को अमान्य कर दिया था।
गर्मी और सर्दी में कम पड़ जाते हंै पलंग गर्मी और सर्दी में पलंग फु ल हो जाते हैं। कईबार तो मेडिकल और मेटरनिटी वार्ड में मरीजों की संख्या बढ़ जाने से प्रसूताओ तथा मरीजों को जगह के आभाव में गैलरियों में भी पलंग डालकर लिटाने की व्यवस्था की जाती है। अस्पताल प्रबंधन चाहता है कि जब तक मिनी मेडिकल कालेज नहीं बनता तब तक रेलवे स्टेशन की जमीन पर भवन का निर्माण कराकर वहां पर मेटरनिटी वार्ड को शिफ्ट कर दिया जाए साथ ही यहां पर शासकीय नर्सिग होम भी खोला जा सकता है।
यूं बढ़ रही है ओपीडी में मरीजों की संख्या कायाकल्प से पूर्व वर्ष 2014-15 में ओपीडी में मरीजों की संख्या 211602 थी। तीसरे स्थान पर आने वाले वर्ष 2015-16 में मरीजों की संख्या बढक़र 298387 पहुंच गई। प्रथम स्थान पर आने के बाद वर्ष 2016-17 में 325404 पर पहुंच गई। वर्ष 2017-18 में 355899 पर पहुंच गई। 2018-19 में ओपीडी में 389379 मरीजों ने उपचार लाभ लिया। इसी प्रकार अप्रैल 2018 से अभी तक करीब 8500 से अधिक डिलेवरी हो चुकी है। इस दौरान 325 से अधिक सीजर भी हुए हैं।
जनप्रतिनिधि कोशिश करें तो बन सकती है बात वर्तमान में मरीजों की संख्या को देखते हुए जिला अस्पताल के विस्तार की आवश्यकता है। यदि विस्तार न किया गया तो आने वाले दिनों में समस्या खड़ी हो सकती है। हमने तो अपने कार्यकाल में पुराने रेलवे स्टेशन जमीन पर मेडिकल कालेज बनाने के लिए शासन के पास प्रस्ताव भी भेजा था और रेलवे प्रशासन से चर्चा भी की थी। एक बार फिर से इस संबंध में प्रयास होने चाहिए। जनप्रतिनिधि कोशिश करें तो सफलता मिलना कोई बड़ी बात नहीं हैं।
डा. राकेश शर्मा पूर्व सीएमएचओ भिण्ड -मेटरनिटी व मेडिकल वार्ड में जगह कम पड़ रही है। यहां पर आसपास के कई जिलों से मरीज उपचार के लिए आते हैं। कायाकल्प में प्रथम स्थान पर आने के बाद से समस्या और बढ़ गई है। जमीन जिला अस्पताल को हस्तांतरित करने के लिए प्रस्ताव तैयार करवा रहे हैं।
डा. अजीत मिश्रा सिविल सर्जन जिला अस्पताल भिण्ड