भीलवाड़ा के हमीरगढ़ तहसील के तखतपुरा गांव की रहने वाली लक्ष्मी अहीर के पिता मोहन लाल की जमीनी विवाद में हत्या कर दी गई, इसके बाद 23 फरवरी को लक्ष्मी का एग्जाम था। यह वह परिस्थिति थी जब किसी भी बच्चे के लिए ढ़ांढस बना पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा होता है। आज लक्ष्मी ने 90.80 प्रतिशत अंक हासिल तो कर लिए लेकिन मिठाई किसको खिलाए यहीं नहीं समझ आ रहा। घर में न तो मिठाई बांटी गई न ही रिजल्ट को लेकर जश्न मनाया गया।
पापा चाहते थे 99% अंक आए लेकिन नहीं हो पाया
लक्ष्मी अहीर कहती हैं कि मेरे पापा बोलते थे कि मेरी बेटी 99% अंक लाएगी, लेकिन घर की परिस्थितियां कुछ खास नहीं थी जिस वजह से मेरे बस 90 प्रतिशत अंक ही बन पाए। लास्ट के कुछ एग्जाम मेरे अच्छे गए थे जिस वजह से मेरे इतने नंबर आ पाएं।
आइएएस बनना है, मुझे मेरे पापा का नाम बड़ा करना है
भीलवाड़ा की लक्ष्मी अहीर कहती हैं कि मैं आइएएस बनकर अपने पापा का नाम बड़ा करना चाहती हूं। यूपीएसई टॉप करना चाहती है। उनका मकसद आइएएस बनकर देश की सेवा करना है। इस तरह वे पिता के सपनों को साकार करना चाहती हैं।
सीख…
जिंदगी बहुत लंबी होती है, पता नहीं चलता न कब क्या हो जाए। उधर एक जिंदगी खत्म होती है दूसरी तरफ कोई किसी खास को खो देता है। आरबीएसई में कई बच्चों ने लक्ष्मी की तुलना में काफी अच्छे नंबर लाए, 500 में से 500 अंक हासिल करने वाले भी चर्चा में हैं। लक्ष्मी की सफलता की कहानी दरअसल हमें जिंदगी के महत्वपूर्ण आयाम बताती है, कठीन परिस्थितियों का कैसे डटकर सामना करे, यह बताती है।