सामने भाई को देखकर इंतजार में बैठी कई बहनों का राखी बांधते ही सब्र का बांध टूट गया। आंखों में आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जैसे-तैसे भाई को राखी बांध उसका मुंह मीठा कराया। दोनों हाथों से लाड किया। इस दौरान आंखों से आंसू छलकने पर वहां मौजूद महिला आरक्षी ने बहनों को शांत किया। कई बहनें
राखी बांधने के बाद शांत रही। बाहर निकलते ही आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली।
आमने-सामने मुलाकात, तलाशी के बाद प्रवेश
बहनों के जेल पहुंचने पर पहले बंदी भाई से हवालात के बीच मुलाकात कराई गई। कुछ देर वार्ता के बाद जेल प्रशासन ने राखी बांधने के लिए जेल अधीक्षक कार्यालय में विशेष प्रबंध किया था। वहां पहुंचने पर पहले बहन की महिला आरक्षी ने तलाशी ली। उसके बाद बंदी भाई को राखी बांधी गई। राखी बांधने के बाद भाई की दोबारा से तलाशी लेकर बैरक में दाखिला कराया। बड़ी संख्या में महिलाएं बंदी भाई से मिलने जेल पहुंची। शाम तक मिलने का दौर चला।