वहीं, उनका यह योगदान सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी रहा। उनका यह योगदान यहीं खत्म नहीं हुआ सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई से शिक्षा के मंदिर में एक भवन निर्माण करा कर अपने आप को भामाशाह भी साबित कर दिया।
इस भवन निर्माण पर दो लाख 20 हजार रुपए खर्च हुए। इस राशि का भुगतान शिक्षक नें अपनी जेब से किया। जी हां हम बात कर रहे हैं
भीलवाड़ा जिले के अमरगढ़ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक रहें तेजमल रेगर की।
जिन्होंने विद्यार्थियों के भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल से सेवानिवृत हुए तेजमल रेगर ने 1998 से लगातार 26 साल तक राजकीय विद्यालय में अपने शिष्यों को ज्ञान बांटा और सेवानिवृत्ति होने पर जाते-जाते विद्यालय के लिए एक भवन भी भेंट कर गए।
गौरतलब यह है कि शिक्षक तेजमल रेगर नें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान विद्यालय में बच्चों को दिया। उन्होंने कभी अपने घर पर बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाया। विद्यालय में पोषाहार प्रभारी रहकर बच्चों को गुणवत्ता से पोषाहार भी खिलाया। वहीं, प्रधानाचार्य हरिशंकर रेगर ने अपने 1 साल के कार्यकाल में कई नवाचार किए हैं।
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शिक्षक तेजमल रेगर के 31 अगस्त कों सेवानिवृत होने पर विद्यालय के छात्र-छात्राएं एवं ग्रामीणों ने उनके सम्मान में एक यादगार समारोह आयोजित किया। इस ग्रामीणों ने शिक्षक का सम्मान कर विदाई दी। वहीं विदाई समारोह में अपने गुरु को विदा करते हुए शिष्यों के आंखों में आंसू छलक उठे।
विद्यालय में इलेक्ट्रिक घंटी भेंट की
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में भामाशाह के तौर पर पिछले साल 30 सितंबर को सेवानिवृत हुए शारीरिक शिक्षक मान शंकर शर्मा ने भी विद्यालय के बच्चों को खेल कूद की खो खो प्रतियोगिता में राज्य स्तर तक पहुंचाया। साथ ही शिक्षक शर्मा ने जाते-जाते रिटायरमेंट पर उन्होंने भी विद्यालय के लिए 30 हजार रूपये लागत की इलेक्ट्रिक घंटी भेंट की।