गाइडलाइन के मुताबिक शिक्षा सत्र शुरू होते ही सभी सरकारी विषय अध्यापकों को ट्यूशन नहीं पढ़ाने का शपथ पत्र देना होगा। सेवारत शिक्षकों का प्राइवेट कोचिंग सेंटरों में पढ़ाने और ट्यूशन करने को विभाग ने गलत माना है। शिक्षक और कार्मिकों की ओर से विभाग की स्वीकृति के बिना स्वयं के कोचिंग सेंटर चलाने की शिकायत मिलने पर सभी संस्था प्रधानों को ऐसे शिक्षकों को पाबंद करने के आदेश दिए।
शिकायत मिलने पर संबंधित शिक्षकों के खिलाफ राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 तथा राजस्थान सिविल सेवा (आचरण) नियम-1971 के तहत कार्रवाई की जाएगी। निदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों को माध्यमिक स्कूल के निरीक्षण के दौरान छात्र-छात्राओं से व्यक्तिगत संपर्क कर वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के भी निर्देश दिए हैं। आदेश में यह उल्लेख है कि शिक्षक एक या दो बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
विज्ञान, गणित-अंग्रेजी में ट्यूशन की प्रवृत्ति अधिक सरकारी स्कूल में अमूमन 10वीं में गणित, विज्ञान अंग्रेजी तथा उच्च माध्यमिक स्कूलों साइंस, कॉमर्स के ऐच्छिक विषयों में ट्यूशन की प्रवृत्ति अधिक रहती है। सामान्य तौर पर इन विषयों के अधिकतर अध्यापक स्कूलों में ट्यूशन प्रवृत्ति को लेकर स्कूलों में एकाग्रचित्त होकर नहीं पढ़ाते, मजबूरन छात्रों को उनके घर ट्यूशन के लिए जाना पड़ता है। इससे रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने पहले भी आदेश जारी किए थे।
इनकी करनी होगी पालना
- कमजोर स्तर वाले विद्यार्थियों के लिए जहां जरूरत हो, अतिरिक्त रूप से रेमेडियल कक्षाएं लगाई जानी चाहिए। उनके शैक्षिक स्तर में सुधार का कार्य सिद्धांतत: विद्यालय का नियमित कार्य होना चाहिए।
- विद्यालयों में परख व अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रगति-पत्र सम्बन्धित परीक्षाएं समाप्त होते ही शिविरा पंचांग में वर्णित तिथिनुसार विद्यार्थियों को वितरित किए जाने चाहिए ताकि अभिभावकों को वस्तु स्थितससे अवगत हो सके।
- सभी विषयों का पाठ्यक्रम समय पर पूर्ण हो, इसके लिए संस्था-प्रधान सभी अध्यापकों से प्रतिमाह पढ़ाए गए पाठ्यक्रम की प्रगति सूचना लिखित में प्राप्त करें तथा जो अध्यापक दस दिन में सूचना नहीं दें अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई करें।